• सचखण्ड के फ्रण्ट एसएलआर के पहिए की प्लेट गायब मिली, कोच हटाया
    झांसी। उमरे के महाप्रबन्धक के आगमन के पूर्व झांसी रेल मण्डल में आज सचखण्ड एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बच गयी। इस घटना ने रेल प्रशासन की नींद उड़ा दी क्योंकि यदि हादसा हो जाता तो आज का दिन इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो जाता। झांसी स्टेशन पर प्रात: उस समय सनसनी मच गयी जब प्लेटफार्म नम्बर चार पर आयी १२७१५ सचखण्ड एक्सप्रेस के अगले एसएलआर/गार्ड के डिब्बे के चक्के के पास की प्लेट गायब दिखाई दी। यदि इसे झांसी स्टेशन पर नहीं देखा जाता तो रास्ते में गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने से कोई नहीं रोक सकता था। स्थिति देख कर आनन-फानन में गार्ड के डिब्बे को सिक कर गाड़ी से अलग कर गंतव्य की ओर चलाया गया। इसके कारण ट्रेन लगभग एक घण्टा झांसी स्टेशन पर विलम्बित रही।
    दरअसल, नांदेड़ से चल कर अमृतसर जा रही १२७१५ सचखण्ड एक्सप्रेस आज प्रात: ५ बजकर ५ मिनट पर प्लेटफार्म नम्बर चार पर आकर रुकी। इस दौरान सम्बन्धित तकनीकी कर्मचारी को गाड़ी के निरीक्षण के दौरान अगले एसएलआर/गार्ड के डिब्बा (एसडब्लूआर-१८२८४१) के पहिए की प्लेट गायब व ज्वाइण्ट में क्रेक दिखाई दिया। यह देख कर उसके हाथ-पैर फूल गए। आनन-फानन में उसने इसकी जानकारी सम्बन्धित उ’चाधिकारियों को दी। इस पर अफरा-तफरी मच गयी क्योंकि आज ही उमरे के महाप्रबन्धक का झांसी दौरा था और उनकी गाड़ी आने वाली थी। इस पर तत्काल सीएण्डडब्लू स्टाफ मौके पर पहुंचा और सम्बन्धित अधिकारियों ने अगले एसएलआर/गार्ड के डिब्बा (एसडब्लूआर-१८२८४१) को सिक घोषित कर उसे गाड़ी से अलग करने के निर्देश दिए।
    इसके बाद ट्रेन को प्लेटफार्म नम्बर चार पर रोक दिया गया और उक्त डिब्बे को अन्य डिब्बों से अलग कर उसे इंजन से खींच कर यार्ड में खड़ा कर दिया गया। इसके बाद इंजन से बकाया डिब्बों को जोड़ कर गाड़ी को गंतव्य की ओर चलाया गया। इस घटना के कारण झांसी स्टेशन पर सचखण्ड एक्सप्रेस लगभग एक घण्टा तक खड़ी रही। जानकारों का कहना था कि यह संयोग ही रहा कि नांदेड़ से चल कर यह डिब्बा झांसी तक सकुशल आ गया और उसे झांसी स्टेशन पर देख लिया गया, अन्यथा गाड़ी कहीं भी दुर्घटनाग्रस्त होकर काला इतिहास रच सकती थी। लापरवाही किसकी है और झांसी के पूर्व के स्टेशनों पर इसे क्यों नहीं देखा गया की जांच की जा रही है।