ज़मीन तो छुुुड़ा ली, जान नहीं बचा सका पत्रकार

निवाड़ी/झांसी (मध्य प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के जिला झांसी के सीमावर्ती मध्य प्रदेश के जिला निवाड़ी अन्तर्गत ग्राम पुतरी खेरा में बुधवार की सायं दबंगों ने रंजिशन पत्रकार सुनील तिवारी पर लाठियां वरसा कर व गोली मार कर मरणासन्न कर दिया। उसनेे उपचार के दौरान ही झांसी मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया। मृृतक नई दुनिया का पत्रकार बताया जा रहा है। पत्रकार हत्याकांड में पुलिस ने नामजद सात आरोपियों पर किया मामला दर्ज जिसमें अवधेश पप्पू तिवारी, नरेंद्र तिवारी, अनिल तिवारी, मोहित तिवारी, रोहित शुक्ला, बलवीर कमरिया, प्रवीण पुरोहित के नाम शामिल हैं।

हमारे निवाड़ी सहयोगी विवेक भास्कर के अनुसार मध्य प्रदेश जिला निवाड़ी एसडीओ पी बलराम सिंह परिहार ने बताया कि हत्या काण्ड में नामजद अवधेश तिवारी, नरेंद्र और अनिल तिवारी समेत सात लोगों के खिलाफ सेंदरी थाने में प्रकरण पंजीबद्व किया गया है, उक्त आरोपी सगे भाई हैं और उनकी सुनील से पाँच एकड जमीन को लेकर विवाद के चलते पुरानी रंजिश है। एसडीओपी परिहार ने बताया कि कल शाम सुनील निवाड़ी से अपने भाई आशीष के साथ बाइक से अपने गांव पुतरी खेरा जा रहा था उसी दौरान गांव से कुछ दूर पहले आरोपियों ने उन पर लाठियों से हमला कर दिया और बाद मे सुनील को गोली मार दी।

परिहार के मुताबिक हमले के बीच आशीष मोके से भागकर गांव पंहुचा और अपने परिजनों को लेकर घटना स्थल पर पंहुचा जहाँ सुनील की गंभीर हालत को देखते हुए उसे झाँसी मेडिकल चिकित्सालय ले गए जहाँ उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया, बलराम सिंह ने बताया कि सुनील की आरोपियों से पुरानी रंजिश थी और उसी के चलते यह घटना हुई, उन्होंने बताया कि वारदात के बाद आरोपी फरार हैं जिन्हे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दल सर्च कर रहे हैं।

दो माह पहले जताती थी हत्या की आशंका

उल्लेखनीय है कि सुनील ने करीब दो माह पूर्व तत्कालीन एसपी मुकेश श्रीवास्तव को आवेदन देकर आरोपियों से जान का खतरा होने की जानकारी दी थी। इतना ही नहीं उन्होंने नामजद आरोपियों से अपनी जान का खतरा बताते हुए सोशल मीडिया पर डाला था वीडियो!! वीडियो में उसने झांसी एस एस पी का भी यह कहते हुए ध्यानाकर्षित किया था कि अपराधियों के झांसी में भी गहरे संपर्क हैं। सुनील ग्वालियर से प्रकाशित एक दैनिक के लिए निवाड़ी से लिखते थे। पुलिस की कथित लचर कार्यवाही के चलते आज एक और पत्रकार की जान चली गई। ऐसी ही हालत के चलते बीते दिनों यूपी के गाजियाबाद में बदमाशों ने पत्रकार विक्रम जोशी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

ज़मीन तो छुुुड़ा ली, जान नहीं बचा सका
मृतक पत्रकार था, ऐसा उसके ग्राम के लोग बता रहे है। वह दबंगो से इसी साल अपनी पाँच एकड़ जमीन छुड़ाने में कामयाब रहा और उसे बोया भी था। यह सच है कि वह खबरों की सूचना अखबारों को देता था और उसे औपचारिक रूप से न सही ‘व्यावहारिक’ रूप से पत्रकार माना जा सकता है। इसी आधार पर उसे एक पत्रकार संघ की सदस्यता का परिचय पत्र जारी किया गया था। हाल-फिलहाल निवाड़ी पुलिस की पूरी मेहनत की दिशा मृतक पत्रकार नहीं था इस तथ्य को स्थापित करने में चल रही, पुलिस यह घोषित कराने में प्राण-प्रण से जुटी है कि मृतक पत्रकार नहीं था। “दुर्भाग्य से मृतक पत्रकार बन कर अपनी पाँच एकड़ जमीन तो पा गया पर प्राण नहीं बचा सका”। मृतक के मोबाइल सीडीआर से पुलिस जानकारी खंगाल रही है।