मेला जलविहार समिति ने की बैठक में सभी से की शासन और प्रशासन का सहयोग करने की अपील

झांसी। गणेश जी का विसर्जन करने से पहले उनकी विधिवत पूजा करें और उन्हें उनकी पसंद की वस्तुओं का भोग लगाएं। विसर्जन करने से पहले आप जो चौकी या पाटा ले रहे हैं उसे गंगाजल से पहले पवित्र करें और उस पर लाल या हरे रंग का वस्त्र बिछाएं। गणेश जी का विसर्जन करने से पहले उनके लिए एक पोटली तैयार करें जिसमें चावल, गेहूं और पंचमेवा के साथ सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा भी रखें। आप जहां पर भी गणेश जी का विसर्जन कर रहे हैं पहले वहां पर कपूर से उनकी आरती करें। विसर्जन से पहले गणेश जी से हाथ जोड़कर जाने अनजाने में हुई किसी भूल के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद आप भगवान गणेश को धीर- धीरे विसर्जित करें। आप उन्हें भूलकर भी एक बार में डूबाएं। गणेश जी के विसर्जन के साथ ही उनका सारा सामान और जो पोटली आपने उनके लिए तैयार की थी उसे भी गणेश जी के साथ ही विसर्जित कर दें। यदि आप घर पर ही गणेश जी का विसर्जन कर रहे हैं तो उसके लिए नई बाल्टी लें और उसमें गंगाजल अवश्य डालें। इसके बाद धीर- धीरे उस बाल्टी में गणेश जी को रखें। जब गणेश जी की प्रतिमा पूरी तरह से बाल्टी में घूल जाए तो उस पानी को अपने घर के पेड़ पौधों में डाल दें। उक्त विचार मेला जलविहार समिति की बैठक में रखे गए।

पुरानी तहसील स्थित मेला जलविहार समिति के स्थानीय कार्यालय पर समिति की एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें समिति संयोजक पंडित पियूष रावत ने शासन प्रशासन के सभी नियम कायदों से समिति सदस्यों को रूबरू कराया। पीयूष ने बताया कि इस बार भगवान के विमान ढोल ग्यारस पर नगर भ्रमण पर नहीं निकलेंगे अपितु मंदिर से ही भगवान भक्तों को दर्शन देंगे मंदिरों में विशेष साज-सज्जा सजावट सिंगार भगवान को भोग प्रसाद लगाए जाएगा। उन्होंने गणेश विसर्जन को जाने वाले भक्तों से शासन प्रशासन के नियम को ध्यान में रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के चलते इस बार का गणेश उत्सव फीका हो गया हम सभी को चाहिए कि हम सभी शासन प्रशासन के नियम और कानूनों को मानकर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को हरा दें जिससे कि अगले साल होने वाला गणेश महोत्सव धूमधाम से संपन्न हो। उन्होंने सभी महानगर वासियों से आग्रह किया कि सभी ढोल ग्यारस के दिन अपनी श्रद्धा और भाव के साथ घर पर ही भगवान की प्रतिमा का विसर्जन कर भगवान गणेश से जल्दी कोरोना को समाप्त करने की प्रार्थना करें। इस दौरान बृज बिहारी उदैनिया, बसंत विष्णु गोलवलकर, अनिल दिक्षित,अभिषेक साहू, अतुल आदि समिति के सदस्य उपस्थित रहे।