1.  झांसी। केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर ‘भारत बंद’ करने की तय्यारी हो रही है, 25 करोड़ श्रमिकों के हड़ताल पर जाने सम्भावना बन रही है। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन(AIRF) और नार्थ सेन्ट्रल रेलवे मेंस यूनियन(NCRMU) ने भी इस आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय किया था। जिसके अनुसार आज टी आर एस/डीजल शाखा में शाखा अध्यक्ष कॉ ब्रजमोहन सिंह की अगुवाई में प्रदर्शन कर समर्थन जुटाया गया। सभी संगठन सरकार की नई श्रमिक और निवेश नीतियों के विरोध में यह कदम उठा रहे हैं।

देश के प्रमुख केंद्रीय केंद्रीय संगठनों के साथ इस हड़ताल में देश भर के करोडों श्रमिक शामिल होंगे। लिहाज़ा इस बार की देशव्यापी हड़ताल पिछले साल के मुकाबले ज़्यादा बड़ी होगी। विरोध की बड़ी वजहों में से एक है कि सरकार एकतरफा तरीके से श्रम सुधार लागू कर रही है।इस आंदोलन में में रेलवे, बैंक (एसबीआई को छोड़कर), रोडवेज, बीएसएनएल, जीवन बीमा निगम, डाक, पेयजल, बिजली विभाग के कर्मचारियों समेत आशा वर्कर्स, आँगनबाड़ी वर्कर्स, मिड-डे मील और औद्योगिक क्षेत्रों के संगठन भी शामिल रहेंगे। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार की मजदूर और श्रमिक विरोधी नीतियों और किसान विरोधी पारित कानून के खिलाफ भी कई किसान संगठन इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।

आंदोलन में भाग लेने वाले 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) हैं। किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। समिति के सदस्य ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच हड़ताल के समर्थन का आह्वान करेंगे। यह हड़ताल केंद्र सरकार की कई नीतियों समेत विशेष कर नयी पेंशन नीति, भत्तों को बाधित करना, नये किसान और श्रम कानूनों के विरोध के लिए बुलायी गयी है। घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वालों ने भी ‘चक्का जाम’ में शामिल होने की घोषणा की है। कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवरों ने भी हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा है। रेलवे और रक्षा कर्मचारियों के संघों ने भी हड़ताल को अपना समर्थन जताया है।