– बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में रानी लक्ष्मीबाई पर होगा 01 मार्च से होगा भव्य आयोजन
झाँसी| बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दुस्तानी एकेडेमी, उत्तर प्रदेश प्रयागराज के सहयोग से आगामी 01-03 मार्च, 2021 को बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में झाँसी की रानी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं लोकधर्मी प्रभाव पर ‘वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई और स्वाधीन चेतना’ विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करने जा रहा है| संगोष्ठी का विषय वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई और स्वाधीन चेतना रखा गया है|

उक्त संगोष्ठी में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के साहित्य में अंकन, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य तथा लोक में प्रभाव उपविषयों पर सार्थक चर्चा की जाएगी, जिस हेतु देश के विभिन्न अंचलों से साहित्यकार, इतिहासकार, संस्कृतिकर्मी सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमर ज्योतिशिखा महारानी लक्ष्मीबाई के समग्र प्रभाव एवं अवदान पर चर्चा करेंगे| कार्यक्रम में महारानी लक्ष्मीबाई के वंशज डॉ. अरुण झाँसी वाले एवं डॉ. योगेश झाँसी वाले, रानी के पुरोहित के वंशज भीमसेन हजूरी, हिन्दुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह, दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार हरगोविंद कुशवाहा, इतिहासविद प्रो. अवनिजेश अवस्थी, प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल, जबलपुर, डॉ मार्त्तंड सिंह, प्रयागराज, डॉ. आर. एस. धेंगुला, दतिया, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विकास दवे, डॉ. सुरेन्द्र नारायण सक्सेना, इंदौर, डॉ. कृष्णा शर्मा, दिल्ली, डॉ गायत्री सिंह, कानपुर, डॉ वसीम खान, भोपाल, प्रो. निरंजन सहाय, वाराणसी, डॉ. बहादुर सिंह परमार, छतरपुर, डॉ. श्याम बिहारी श्रीवास्तव, दतिया, कंचन सिंह परिहार, वाराणसी, डॉ. विनम्र सेन सिंह, प्रयागराज, डॉ. अमरेन्द्र त्रिपाठी, प्रयागराज, डॉ. राकेश कुमार सिंह, दिल्ली, अयोध्या प्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ जालौन, डॉ. डी. पी. ओझा, प्रतापगढ़, डॉ. अनिल सिंह, प्रयागराज, रमेश सिंह प्रयागराज, प्रो. श्रीराम अग्रवाल, हरिविष्णु अवस्थी, टीकमगढ़ और झाँसी से ओमशंकर असर, मुकुंद मेहरोत्रा, इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त, डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह, झाँसी, मोहन नेपाली, लक्ष्मीकांत वर्मा आदि को आमंत्रित किया गया है| कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर जे.वी. वैशम्पायन करेंगे| संगोष्ठी के उपविषय समर और साहित्य, लोक साहित्य में महारानी लक्ष्मीबाई, सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमिट दीपशिखा महारानी लक्ष्मीबाई, सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम में झाँसी, हिन्दी साहित्य में चित्रित महारानी लक्ष्मीबाई, स्वातंत्र्य समर और साहित्य, लोक साहित्य में व्याप्त वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर आधारित रासो काव्य, वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर आधारित रायसे, झाँसी की रानी का साहित्यिक अन्वख्यान, हिन्दी गद्य में महारानी लक्ष्मीबाई, बुन्देली साहित्य में महारानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के समकालीन इतिहास लेखक एवं कविगण , महारानी लक्ष्मीबाई का क्रांति पथ, सन 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमिट दीपशिखा महारानी लक्ष्मीबाई , स्टार फोर्ट, सन 1857 का स्वाधीनता संग्राम और महारानी लक्ष्मीबाई, राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द्र की अमर ज्योति महारानी लक्ष्मीबाई, रानी लक्ष्मीबाई का स्वतंत्रता संघर्ष और उसके नवीन सन्दर्भ, वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संघर्ष में महिलाओं की भूमिका, स्वातंत्र्य संग्राम में झाँसी का योगदान रखे गए हैं| एक मार्च को शाम सात बजे सांस्कृतिक कार्य्रम पेश किये जाएँगे जिसमें बुंदेलखंड का लेद गायन, आल्हा, नाटिका, लोक नृत्य आदि प्रस्तुत किये जाएँगे| दो मार्च को शाम सात बजे से कवि समागम का आयोजन डॉ विनम्र सेन सिंह के संयोजन में किया जाएगा, जिसमें स्थानीय तथा बाहर से आए कवि कविता पाठ करेंगे| तीन मार्च को प्रातः 11:30 बजे से साहित्यिक यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त तथा वृन्दावनलाल वर्मा से जुड़े एवं अन्य स्थलों का भ्रमण करेंगे यह जानकारी यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक डॉ. पुनीत बिसारिया ने दी है।