ग्राम डगरवाहा में स्थापित है माता की प्राचीन मूर्ति

झांसी। उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर झांसी जनपद में शिवपुरी रोड रक्सा से लगभग 4 किलोमीटर दूर ग्राम डगरवाहा में माता की पुरातात्विक मूर्ति मंदिर में विराजमान है। मान्यता है कि आलोकिक प्रतिमा का श्रद्धापूर्वक दर्शन करने वालों की हर एक मनोकामना पूर्ण होती है। प्रत्येक नवरात्रि में श्रद्धालू दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। मन्दिर के मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित होने के कारण मध्य प्रदेश से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं नवरात्रि में प्रतिदिन माता की मूर्ति पर जल चढ़ाने के लिए औरतें प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त से ही आना प्रारंभ कर देती हैं। प्रत्येक नवरात्रि में जवारे बोए जाते हैं आज भी नवमी के दिन समस्त ग्राम वासी एकत्रित होकर एक दूसरे को भुजरियां (जवारे ) देकर भाईचारे से मिलते हैं। प्रत्येक वर्ष चैत्र की पूर्णिमा के बाद बैशाख के प्रारम्भ में दोज वाले दिन माता का मेला लगता है मेले में छोटे छोटे दुकानदार धार्मिक वस्तुओं की दुकान लगाते हैं बच्चों के मनोरंजन हेतु छोटे छोटे खेल, झूले इत्यादि भी लगाए जाते हैं।
पं. प्रदीप कुमार तिवारी, अध्यक्ष भारतीय ब्राह्मण महासभा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मूर्ति के विषय में गांव के वृद्ध बताते हैं कि सैकड़ों वर्षो से मंदिर में मूर्ति विद्यमान हैं। मन्दिर की स्थापना से जुडी एक किंवदंती है कि जिस स्थान पर मंदिर बना है उसी स्थान पर माता की मूर्ति के विषय में किसी साधु को सपने में यह बताया था की उक्त स्थान पर माता की मूर्ति प्राप्त होगी, उस के उपरांत यह सिद्ध मूर्ति खुदाई में प्राप्त हुई थी माता की प्राण प्रतिष्ठा हेतु गांव में मन्दिर बनकर तैयार हुआ तो प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति को उठाने के लिए 5 लोगों को बुलाया गया परंतु मूर्ति उठी नहीं तब वहां उपस्थित साधु ने बताया की पांच में से एक व्यक्ति के परिवार में संतान उत्पत्ति होने के कारण सूतक लगा हुआ है अतः उस व्यक्ति को हटाने के उपरांत ही मूर्ति उठेगी और यह बात सत्य साबित हुई जैसे ही उस परिवार के व्यक्ति को हटाया गया मूर्ति को अन्य लोगों ने उठाकर मंदिर में प्रतिस्थापित कर दिया। मन्दिर के पास में ही पुजारी के रहने के लिए एक कोठरी बनी हुई है परंतु सुविधाओं के अभाव में वहां कोई पुजारी नहीं रहता है।