– विभिन् कालेजों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षिकायें नेचर केयर अवार्ड से सम्मानित

झांसी। जिला जनकल्याण महासमिति झांसी एवं रानी झांसी फांऊडेशन झांसी के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय संग्रहालय में 75 से अधिक उन कालेजों के प्रधानाचार्यो एंव शिक्षिकाओं को नेचर केयर अवार्ड से सम्मानित किया गया जो कि अपने अपने स्तर पर्यावरण संरक्षण हेतु सजग होकर कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण समस्या, समाधान और प्राकृतिक स्रोतों की महत्ता विषय पर सेमिनार का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में मां सरस्वती जी के समक्ष दीप प्रज्वलन एंव पर्यावरणविद् स्व श्री बद्रीप्रसाद तिवारी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
अतिथियों का स्वागत करते हुए समिति के केंद्रीय अध्यक्ष डाॅ जितेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा संस्था गत 15 वर्षों से स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण हेतु अनवरत रुप से जन चेतना लाने का कार्य कर रही है और इसी उद्देश्य से संकल्प 365 अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें बुंदेलखंड के विभिन्न जनपदों से पांच लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसी क्रम में आज इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय डॉ. मुकेश कुमार पाण्डेय एवं कुलपति केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि प्रदूषण रोकना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है, जिसका निर्वहन प्रत्येक देशवासी को करना चाहिए ताकि हम और हमारा परिवार खुली हवा में सांस ले सके। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक स्रोत पृथ्वी ने हमें वरदान के रुप में दिये है। इनका संरक्षण करना हमारा दायित्व है। लेकिन हम थोड़े से स्वार्थ व अज्ञानता के कारण इनको दोहन कर रहे हैं। जल संरक्षण की महत्ता के साथ ही नदियों को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सभी को आगे आना होगा। वहीं निरन्तर वाटर लेवल डाउन होने पर भी चिन्ता जाहिर की। साथ ही आवश्यकताओं को सीमित करने पर बल दिया। महानगर धर्माचार्य आचार्य पं हरिओम पाठक ने कहा कि पूजन सामग्री एवं धार्मिक अनुष्ठान में बची सामग्री को नदियों में कदापि प्रवाहित न करें बल्कि इनकी खाद बनाकर खेतों में अथवा अपने किचिन गार्डन में उपयोग करें। प्रभागीय वनाधिकारी वीके मिश्रा एवं क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी निरंजन शर्मा ने विभिन्न अवसरों पर पौधा लगाने की आदत विकसित करने और पौधे को संरक्षित करने वालों की सराहना करने का आह्वान किया तथा कहा कि जिस तरह जन्म देने वाले से अधिक पालने वाली मां का महत्त्व होता है। उसी तरह पौधा लगाने से ज्यादा उसको संरंक्षित करने वाले का महत्त्व होता है। इसलिए पौधे लगाने के साथ उसके संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध रहें। धरती को हरा-भरा करने और उसे वीरान करने में बड़ा अन्तर है। वीरान होने में समय नहीं लगता, लेकिन हरा-भरा करने में बहुत समय लगता है। इसलिए इस अन्तर को युवा पीढ़ी भली-भांति समझे। प्रोफेसर डा बाबूलाल तिवारी ने भी पर्यावरण संरक्षण की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। आभार व्यक्त आचार्य बृजकिशोर किशोर भार्गव ने व्यक्त किया। संचालन महासमिति के केंद्रीय अध्यक्ष डाॅ जितेन्द्र कुमार तिवारी ने किया।