झांसी। मण्डलायुक्त, झाॅसी के न्यायालय में शुक्रवार को देववाणी संस्कृत भाषा गुंजायमान हो गयी। मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय ने 2 निर्णय संस्कृत भाषा में लिखकर जारी किये। राजस्व न्यायालय के इतिहास में संस्कृत भाषा में यह पहली बार जजमेंट लिखा गया है। गौरतलब है कि सरकारी कामकाज और न्यायालयों की भाषा उत्तर प्रदेश में हिन्दी के रूप में मान्य है परन्तु मण्डलायुक्त डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय ने भारत की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा में निणर्य पारित करके इतिहास रच दिया है।

मण्डलायुक्त के न्यायालय में वाद संख्या-1296/ 2021 छक्कीलाल बनाम राजाराम आदि अंतगर्त धारा-207 अधिनियम, उ0प्र0 राजस्व संहिता-2006 दिनांक 30-12-2021 में दर्ज हुआ। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उभयपक्षों को साक्ष्य व सुनवाई का समुचित अवसर देते हुये संस्कृत भाषा मेे दो पृष्ठ का निणर्य पारित किया गया। संस्कृत भाषा में पारित निणर्य में यह लिखा गया है:-

‘‘अतः अपीलस्य (प्रत्यावेदनस्य) ग्राहयता स्तरे एवं अवर न्यायालयेन 20-10-2021 इति दिनांके निगर्तम् आदेशं निरस्तीकृत्य प्रकरणमिदम् एतेन निदर्ेशेन सह प्रतिपे्रषितम् क्रियते यद् अपीलकतार् 29-01-2020 इति दिनांके प्रस्तुते रिस्टोरेशन प्राथर्ना-पत्र विषये उभयोःपक्षयोः पुनः श्रवणाम् अवसरं विधाय गुणदोषयोश्च विचायर् एकमासाभ्यन्तरम् निस्तारणं करणीयम् वाद प्रतिवाद पत्रावली च कायार्लये सुरक्षिता करणीया।’’
उपरोक्त वाद में अपीलार्थी के अधिवक्ता देवराज सिंह कुशवाहा द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये निणर्य के लिये मण्डलायुक्त, डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय को धन्यवाद दिया और उनके इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
इसी प्रकार मण्डलायुक्त के न्यायालय में शस्त्र लाईसेंस से सम्बन्धित वाद संख्या-1266/ 2021 रहीश प्रसाद यादव बनाम राज्य सरकार उ0प्र0 अंतगर्त धारा-18 भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 दिनांक 18-12-2021 में दजर् हुआ। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उभयपक्षों को साक्ष्य व सुनवाई का समुचित अवसर देते हुये संस्कृत भाषा मेें दो पृष्ठ का निणर्य पारित किया गया। संस्कृत भाषा में पारित निणर्य में यह लिखा गया है:-
‘‘एतासु परिस्थितिषु अवर न्यायालयेन 06-9-2021 दिनांकेः निगर्ते आदेशाविषये प्रतिक्षेपाय (हस्तक्षेपाय) औचित्य भवित्येव। अतः अस्य प्रतिवेदनस्य (अपीलस्य) विलम्बतः प्रस्तुतिविषये ‘‘विलम्बं सम्मषर्यन्’’ अपीलस्य (प्रतिवेदनस्य) ग्राह्यतास्थितौः एव स्वीकृत्य झाॅसी स्थावर न्यायालयेन/जनपद मजिस्टेªट महोदयेन 06-9-2021 दिनांकः निगर्तः आदेशः निरस्तीक्रियते। अपीलकतुर्ः रिवाल्वर शस्त्र सम्बन्धित मनुज्ञापत्रम्-‘‘7698’’ सम्प्रवतिर्तं क्रियते। यदि आगामिनि समये कदापि शस्त्रानुज्ञाश्रयिजनस्य शस्त्रस्य दुरूपयोगे शस्त्रानुज्ञानबन्धविषये वा समुल्लंघमस्य परिस्थितिः समायादि तदा अवर न्यायालयात्, पुलिस विभागात् मजिस्टेªटमहोदयात् सारगभिर्तां तथ्ययुक्तामाख्याम् (रिपोटर्) च सम्प्राप्य गुणावगुणविषये क्रियान्वयम् विधातंु सक्षमः स्वतन्त्राश्च भविष्यन्ति। शस़्त्रस्य अनुज्ञानुबन्धस्य निरन्तरम् निरीक्षणं-परीक्षणम् च भवेदिति निदेर्शयन् अस्य आदेशस्य प्रतिकृतिः (प्रतिलिपिः)
अवर न्यायालयाय प्रत्यावतर्नीया। वादस्य आवश्यकी कायर्वाही अपील पत्रावली (प्रतिवेदन पत्रावली) अभिलेखागारे सुरक्षिता भवितत्या/काणीया।
उपरोक्त वाद में अपीलार्थी के अधिवक्ता हरीसिंह यादव एवं उत्तरदाता के अधिवक्ता राहुल शर्मा द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये निणर्य के लिये मण्डलायुक्त, डाॅ0 अजय शंकर पाण्डेय को धन्यवाद दिया और उनके इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
मण्डलायुक्त के न्यायालय में शस्त्र लाईसेंस सहित तमाम धाराओं के अंतगर्त मुकदमों की सुनवाई की जाती है। झाॅसी मण्डल का इतिहास बहुत पुराना है इसलिये हिन्दी के अलावा ब्रिटिश काल में और उसके बाद इस समय तक अंग्रेजी भाषा में तो निणर्य पारित होने के साक्ष्य मिलते हैं परन्तु संस्कृत भाषा में निणर्य पारित होने का यह पहला दृष्टांत है।
कमिश्नरी, झाॅसी के अभिलेखागार में कायर्रत अभिलेखपाल दिलीप कुमार द्वारा पुराने रिकार्ड्स की छानबीन करके बताया गया कि ब्रिटिश काल से झाॅसी कमिश्नरी सन् 1911 से चल रही है। अभिलेखीय आधार पर संस्कृत भाषा में पारित किये गये उपरोक्त दोनों निणर्य एक मात्र हैं। इसके पहले संस्कृत भाषा में निणर्य पारित करने का कोई दृष्टांत उपलब्ध नहीं है।
मण्डलायुक्त के पेशकार प्रमोद तिवारी द्वारा बताया गया कि उपरोक्त दोनों निणर्य संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं। संस्कृत भाषा सभी की समझ में नहीं आयेगी। इसलिये मण्डलायुक्त डाॅ0 पाण्डेय ने इसके साथ ही इसका अनुवाद हिन्दी में कराकर पत्रावली पर रखने हेतु निदेर्शित किया गया। संस्कृत भाषा में पारित किये गये निणर्य का हिन्दी में किया गया अनुवाद पत्रावली में अनुरक्षित रखा जाय, जो आदेश का अंग रहेगा।
संतोष सिंह चौहान, एडवोकेट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी द्वारा संस्कृत भाषा में जो निणर्य पारित किया गया है वह अपने आप में दुलर्भ है। इस आदेश का स्वागत करता हॅू। राजीव नायक एडवोकेट ने कहा कि कमिश्नरी के इतिहास में आयुक्त द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये निणर्य समाज में यह संदेश देंगे कि सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये आयुक्त द्वारा की गयी पहल सराहनीय है। कमिनश्नरी, झाॅसी के अन्य अधिवक्तागण देवराज कुशवाहा, राजीव मिश्रा, धु्रव अड़जरिया, आर0पी0 मिश्रा आदि द्वारा इस निणर्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रदीप सक्सेना, जिला शासकीय अधिवक्ता, राजस्व, राहुल कुमार जिला शासकीय अधिवक्ता (क्रिमिनल), लखनलाल श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष, उमेश कुमार सचिव डिवीजनल बार एसोसियेशन द्वारा संस्कृत भाषा में पारित किये गये उपरोक्त दोनों निणर्यों का अध्ययन करके यह कहा गया कि मण्डल झाॅसी के राजस्व न्यायालयों में इसके पहले किसी भी पीठासीन अधिकारी द्वारा देववाणी संस्कृत भाषा में निणर्य पारित नहीं किये गये थे। मण्डलायुक्त झाॅसी मण्डल, झाॅसी द्वारा हिन्दी के अतिरिक्त सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा में निणर्य पारित करके इतिहास रच दिया है।