– अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना और पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू

झांसी। भारत का वास्तविक इतिहास आज भी बहुत ही कम लोगों को पता हैं. यहाँ की ऐतिहासिक विरासत बहुत ही समृद्ध रही है. ज्ञान, विज्ञान, वास्तुकला, संगीत, नृत्य हर क्षेत्र में भारत की अपनी अलग पहचान रही है. यह विचार आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय ने अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना और पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी युग युगीन बुन्देलखण्ड में स्व जागरण के उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों को संचालित कर रहे थे।

कुलपति प्रो. पाण्डेय ने कहा कि भारत के इतिहास को सही तरीके से जानने के लिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा किया जा रहा प्रयास बहुत ही सकारात्मक है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना का यह प्रयास देश को सही इतिहास से रूबरू करवाने में सहायक होगा.

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष मिश्र ने कहा कि देश को बहुत समय तक गुमराह रखा गया है. लोगों ने अपने हिसाब से इतिहास लिखा है और शासको को खुश करने के लिए उनका यशोगान लिखते रहे हैं. अब समय यह है कि पुराने ग्रंथों में जो बिना किसी दबाव के इतिहास लिखा रहे थे उनका अवलोकन किया जाए और इतिहास को फिर से लिखा जाए.

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के कानपुर प्रान्त के कार्यवाहक प्रभारी अनिल जी ने बताया कि क्षेत्र में बहुत सी ऐसी जगहें हैं जिनका अवलोकन करना और उनको फिर से व्याख्या करना जरुरी है। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अनुपम व्यास ने किया व आभार शैलेंद्र तिवारी ने दिया।

तकनीकी सत्र में शोध कर्ताओं ने शोध पत्रों के माध्यम से देश के वास्तविक इतिहास को प्रतिभागियो के सामने रखा. तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. प्रीति निगम ने किया व आभार शैलेंद्र तिवारी ने व्यक्त किया। सांस्कृतिक संध्या में प्रतिभागियों ने राई, देवारी, नवरस जैसे नृत्य प्रस्तुत किए।