– मंडलीय रेल अस्पताल में सिक फिट प्रक्रिया सवालों के घेरे में

झांसी। उमरे झांसी मंडल मुख्यालय पर रेलवे के मंडलीय अस्पताल ले विवादों का चोली दामन का साथ है। इसमें सर्वाधिक चर्चाओं में सिंक फिट का गोरखधंधा है। हाल ही में मंडलीय अस्पताल में फिट करने का एक ऐसा मामला सामने आया है कि लोग दांतों तले उंगली दबाते नजर आए।

दरअसल, रेलवे मैकेनिकल विभाग में कार्यरत कर्मचारी 20 अक्टूबर 20 से अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित चल रहा था। वह लगभग 18 माह बाद वह रेलवे अस्पताल पहुँचा और स्वयं को बीमारी से पीड़ित बताते हुए संबंधित चिकित्सक से संपर्क किया। यहीं से खेल शुरू हो गया। इस चिकित्सक ने बिना विशेषज्ञ चिकित्सक की राय लिए संबंधित कर्मचारी को 21 अप्रैल 22 को फिट प्रमाण पत्र जारी कर दिया। नियम विरुद्ध हुए इस फिट प्रकरण के उजागर होते ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।

यदि इस तरह के मामलों में फिट करने के नियमों को देखते हैं तो उक्त मामले में सवाल खड़े हो जाते हैं। नियमानुसार एक माह से अधिक ड्यूटी से अनुपस्थित कर्मचारियों को फिट करने के पहले मामले को सीएमएस के संज्ञान में लाया जाना चाहिए, किंतु इस मामले में इस नियम को अनदेखी की गई। इससे फिट करने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। रेल प्रशासन को इस मामले को संज्ञान में लेकर जांच करवा कर कार्यवाही की जाना चाहिए।