बैंक के चेयरमैन ने पूर्व व वर्तमान पदाधिकारियों पर लगे आरोप, डीएम से कार्रवाई की मांग 

झांसी। झांसी में रानी लक्ष्मीबाई अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारियों पर हेराफेरी कर बैंक में जमा जनता के करोड़ों रुपए हड़पने का मामला सामने आया है। इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर खुद बैंक के चेयरमैन डॉ वीरेंद्र सिंह यादव ने बुधवार को जिलाधिकारी को घोटालों से संबंधित समस्त दस्तावेजों का बंडल सौंपा है। उन्होंने पूर्व तथा वर्तमान सचिव पर साठगांठ कर घोटाले का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच, मुकदमा दर्ज करने, हड़पे जनता के करोड़ों रूपयों की रिकवरी तथा वर्तमान सचिव की बर्खास्तगी किए जाने का अनुरोध किया है।

जिलाधिकारी को दिए गए पत्र में बैंक के चेयरमैन डॉ वीरेंद्र सिंह यादव ने अवगत कराया है कि रानी लक्ष्मीबाई अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड आशिक चौराहा झांसी में पदस्थ प्रभारी सचिव विनोद रिछारिया द्वारा बैंक में विभिन्न प्रकार की अनियमितताओं एवं नियम विरुद्ध कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इस संबंध में पिछले 3 वर्षों से लगातार कार्यालय संयुक्त आयुक्त एवं संयुक्त निबंधक सहकारिता उत्तर प्रदेश झांसी मंडल द्वारा विभिन्न पत्रों के माध्यम से बैंक के संचालक मंडल को प्रभारी सचिव के विरुद्ध अनुशासनात्मक तथा विभागीय कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। प्रभारी सचिव द्वारा की जा रही अनियमितताओं में उनके द्वारा निर्धारित ग्रेड से अधिक वेतन का आहरण करना, पूर्व सचिव द्वारा गायब की गई पत्रावलियों के संबंध में बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी पुलिस में प्रथम सूचना की रिपोर्ट दर्ज न कराया जाना आदि सहित तमाम कृत्य शामिल हैं, जिनके संबंध में संबंधित पत्राचार तथा सहकारिता विभाग के पत्रों की छाया प्रति संलग्न है।

उन्होंने बताया कि इसी संबंध में शासन प्रशासन के दिशा निर्देशों का शत प्रतिशत अनुपालन करने के लिए 15 जुलाई 2022 को संचालक मंडल की बैठक में सारे बिंदुओं पर विचार विमर्श करने के बाद संचालक मंडल द्वारा प्रभारी सचिव को निलंबित किए जाने का निर्णय लिया गया, लेकिन प्रभारी सचिव द्वारा इसकी भनक लगते ही कार्यवाही रजिस्टर को अपने कब्जे में ले लिया गया तथा बिना किसी पूर्व सूचना के बैंक से कार्यवाही रजिस्टर को अपनी अलमारी में बंद कर चले गए। जब उनसे कार्यवाही रजिस्टर 18 जुलाई को समय करीब अपराहन 3:00 बजे मांगा गया तो उन्होंने न केवल संचालक मंडल के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया, बल्कि हमलावर होने की भी कोशिश की। बैंक के हित में तथा शासन प्रशासन के आदेश निर्देश का शत-प्रतिशत पालन करने के लिए संचालक मंडल कटिबद्ध है, लेकिन प्रभारी सचिव द्वारा लगातार वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम देने के बाद भी संबंधित दस्तावेज नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रभारी सचिव विनोद रिछारिया के खिलाफ संयुक्त आयुक्त सहकारिता द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में रिकवरी के आदेश भी जारी किए गए हैं, लेकिन उनके द्वारा संयुक्त आयुक्त तथा संचालक मंडल के दिशा निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और उनकी लगातार मनमानी जारी है। बैंक द्वारा प्रॉपर्टी को बंधक रखकर ऋण वितरण किया जाता है। कई मामले ऐसे संज्ञान में आए हैं, जिनमें ऋण लेने वालों ने अपनी प्रॉपर्टी बिना ऋण अदा किए बेच दी। इस संबंध में भी सारे दस्तावेज बैंक में उपलब्ध हैं, जिनकी जांच की जा सकती है। संचालक मंडल के संज्ञान में इस तथ्य के आने के बाद समय-समय पर प्रभारी सचिव विनोद रिछारिया को लिखित तथा मौखिक रूप से निर्देशित किया गया कि ऐसे सभी ऋणधारकों के खिलाफ प्रथम सूचना की रिपोर्ट दर्ज कर विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाए, लेकिन उनके द्वारा आज तक ऐसे ऋणधारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रभारी सचिव विनोद रिछारिया की ऐसे ऋणधारकों से भी सांठगांठ है।

ज्ञापन में उन्होंने जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि प्रशासनिक स्तर पर अपने अधीनस्थ किसी उच्चाधिकारी से इस पूरे प्रकरण की जांच करवा कर प्रभारी सचिव के खिलाफ विधिक तथा विभागीय आदि कार्यवाही अमल में लाई जाए ताकि बैंक में हो रही अनियमितताओं को सहकारिता हित में रोका जा सके। चेयरमैन के अनुसार संचालक मंडल की बैठक में प्रभारी सचिव विनोद रिछारिया को निलंबित कर शाखा प्रबंधक अरुण कुमार खरे को अपने कार्यों के साथ-साथ सचिव पद के दायित्वों के निर्वहन के लिए अधिकृत किए जाने का भी निर्णय लिया गया है। जिलाधिकारी ने उक्त मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है ‌