झांसी। चौंकिए मत! सीखने, ज्ञानार्जन की कोई आयु और सीमा नहीं होती! 36 वर्ष की लम्बी सेवा के बाद मण्डलायुक्त डॉ0 अजय शंकर पाण्डेय फिर से एक विद्यार्थी जीवन की शुरूआत करने जा रहे हैं, उन्होंने बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झॉसी में डी0लिट0 के शोधार्थी के रूप में अपना नामांकन कराया है। मण्डलायुक्त का कहना है कि जब हम शासकीय सेवा में आते हैं तो उस समय केवल किताबी ज्ञान हमारे साथ रहता है और जब हम शासकीय सेवा से अलग हो रहे होते हैं तो उस समय किताबी ज्ञान के साथ ही साथ 36 वर्षो का व्यवहारिक अनुभव भी साथ में रहता है। इन दोनों के सामंजस्य से ही एक प्रभावशाली योगदान समाज, प्रदेश और देश को दिया जा सकता है। मण्डलायुक्त डॉ0 अजय शंकर पाण्डेय ने डी0लिट0 के लिये जो अपना विषय चुना है वह है -Land Management system in U.P.  : A Study (With Special reference to the Bundelkhand Region)
मण्डलायुक्त डॉ0 अजय शंकर पाण्डेय का कहना है कि उन्होंने अपने एक साल से अधिक के झॉसी मण्डल के आयुक्त के कार्यकाल में यह अनुभव किया है कि भूमि सम्बन्धी जो भी विधियां लिखी गयी हैं उनको व्यवहारिक धरातल पर और प्रभावशाली बनाने के लिए शोध अत्यन्त आवश्यक है। शोध में भूमि प्रबन्ध के व्यवहारिक पक्ष में आ रही कमियों को न केवल चिन्हित किया जायेगा बल्कि उसके समाधान भी दिया जायेगा। इस अध्ययन में कुल 31 ऐसे भूमि प्रबन्ध सम्बन्धी विषयों पर कार्य किया जाना है, जिससे असली भूस्वामी को उसका हक मिल सके, उसकी भूमि पर कोई भूमाफिया नजर न उठा सके और अदालती कार्यवाही का सहारा लेकर कोई धोखा-धड़ी न कर सके।
ज्ञातव्य है कि श्री पाण्डेय ने इसके पहले 20वीं शदी के पूर्वाद्ध में यू0पी0 में अपराध की स्थिति और पुलिस विषय पर शोध किया था, जिसके लिए उन्हें पी0एच0डी0 की डिग्री प्राप्त हुयी थी। मण्डलायुक्त के इस भूमि प्रबन्ध के शोध के निष्कर्षो से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सक्रिय भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने में भारी मदद मिलेगी। प्रदीप सक्सेना, जिला शासकीय अधिवक्ता, झॉसी, द्वारा यह कहा गया कि मण्डलायुक्त डॉ0 पाण्डेय के द्वारा प्रशासनिक अनुभव और राजस्व न्यायालयों के कार्यो की समझ की विशिष्ट क्षमता है, इससे निश्चय ही तमाम बाधाओं को दूर करने और लोगों को वास्तविक न्याय दिलाने में डॉ0 पाण्डेय की यह थीसिस गरीब जनता को न्याय दिलाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी।