परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव सम्मानित

‘‘परमवीर चक्र विजेताओं की गाथाऐं’’ पुस्तक विमोचित, पुरस्कार वितरण 

झांसी। कारगिल युद्ध के हीरो परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव ने बताया ‘‘सैनिक अपने लहू से देश की सेवा करता है। सैनिक दिन रात देश की सुरक्षा में तैनात रहता है, ताकि देश के नागरिक चैन की नींद ले सकें। सैनिक की वर्दी मामूली वर्दी नहीं होती है, यह देश की एक सौ तीस करोड जनता के विश्वास की वर्दी होती है। एक सच्चा सैनिक कभी भी देश और देश के नागरिकों के विश्वास को ठेस नहीं पहुंचाता।’’
कैप्टन यादव बुन्देलखण्ड साहित्य कला अकादमी एवं राजकीय संग्रहालय, झांसी के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय संग्रहालय सभागार में आयोजित अपने सम्मान समारोह एवं 21 मातृ शक्ति कथाकारों द्वारा रचित सजीव घटनाओं पर आधारित ‘‘परमवीर चक्र विजेताओं की गाथाऐं’’ पुस्तक विमोचन व चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि व्यक्ति की पहचान उसके पद और ओहदे से नहीं होती, बल्कि उसके द्वारा किए गए कार्यों से होती है। उन्होनें युवाओं का आव्हान किया कि कभी भी जीवन की असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए, उनका डटकर सामना करना चाहिए, हमेशा मानसिक संतुलन बनाये रखना चाहिए, अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी क्षमताओं का पूर्ण प्रयोग करना चाहिए।

अपने धारा प्रवाह संबोधन में उन्होनें कारगिल युद्ध की घटनाओं का सजीव वर्णन किया कि किस प्रकार 17 गोली लगने के बाद भी उन्होनें व साथी सैनिकों ने दुश्मन के बंकरों को नेस्तानाबूद कर टाइगर हिल पर भारत का झण्डा लहराया। उनके आत्मअनुभव को सुनकर समस्त दर्शकों की आंखें नम हो गई और सभागार भारत माता की जय की नारे से गुंजायमान हो उठा। परमवीर चक्र विजेता कैप्टन यादव ने गर्व से कहा कि हिन्दोस्तान की मिट्टी शेर और शेरनियों को पैदा करती है, झांसी उसका सबसे बडा उदाहरण है, जहां 1857 की आजादी का बिगुल फूंका गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस करैरा के उप महानिरीक्षक सुरेन्द्र खत्री ने भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस को बताते हुए युवाओं का आव्हान किया कि देश सेवा का सबसे सशक्त माध्यम भारतीय फौज में शामिल होना है। वे सैनिक बनकर देश और समाज दोनों की मदद कर सकते हैं। सेन्ट्रल इन्टेलीजेन्सी ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारी अनिल शर्मा ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि हम अपने सपनों को जाग्रत रखें और उन्हें प्राप्त करने की कोशिश करते रहें, एक दिन अवश्य ऐसा आयेगा, जब लोग आपको वीर अब्दुल हमीद, मेजर शैतान सिंह, मेजर सोम शर्मा की तरह याद करेंगें।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. पुनीत बिसारिया ने कहा कि जब तक कैप्टन योगेन्द्र जैसी युवा शक्ति है, तब तक सैनिकों की शौर्य गाथायें हमारे मस्तक को ऊंचा करती रहेंगी। कार्यक्रम को राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा, ललित कला संस्थान समन्वयक डाॅ. सुनीता, लक्ष्मीबाई नेशनल यूनिवर्सिटी आफ फिजीकल एजुकेशन ग्वालियर के डिप्टी रजिस्ट्रार मेजर डाॅ. शशिभूषण शर्मा, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस करैरा के सैन्य अधिकारी शशांक, परमवीर चक्र विजेता मेजर सोम शर्मा के वंशज शुभम् शर्मा ने भी सम्बोधित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर निगम झांसी के महापौर रामतीर्थ सिंघल ने कहा कि यह झांसी का सौभाग्य है कि देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान से विभूषित कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव यहां पधारें, उन्होंने कहा कि सरहदों पर एक सैनिक व समाज में आम आदमी भी अपनी कर्तव्यनिष्ठा के माध्यम से राष्ट्र की सेवा कर सकता है।
कार्यक्रम का प्रारम्भ मंचस्थ समस्त अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया। योग सहेलियों द्वारा समस्त अतिथियों को पुष्प भेंट कर स्वागत किया गया। स्वागत भाषण कुन्ती हरिराम ने, संचालन डाॅ. मुहम्मद नईम ने व आभार राजकीय संग्र्रहालय के उप निदेशक डाॅ. एस. के. दुबे ने व्यक्त किया।

अतिथियों द्वारा देश के विभिन्न प्रान्तों की 21 लेखिकाओं पर लिखित एवं कुन्ती हरिराम व लता सिंघई द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘‘परमवीर चक्र विजेताओं की गाथाऐं’’ का विमोचन किया गया। लता सिंघई (अमरावती) द्वारा पुस्तक की विषय वस्तु के विषय में बताया गया। इस अवसर पर कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव को नागरिक अभिनन्दन करते हुए उन्हें सम्मान पत्र, शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। आजादी के अमृत महोत्सव में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर भी सम्मानित किया। अतिथियों द्वारा साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक क्षेत्र की ख्यातिलब्ध प्रतिभाओं डाॅ. नीति शास्त्री, डाॅ. पुनीत बिसारिया, डाॅ. सुनीता, डाॅ. मुहम्मद नईम, डॉ कौशल त्रिपाठी, डाॅ. अजय कुमार गुप्ता, डाॅ. ब्रजेश सिंह परिहार, किशन सोनी, कामिनी बघेल, डाॅ. ऋषिराज सिंह, अजय साहू, अलख साहू, प्रवीण जी सहित पुस्तक की लेखिकाओं को शाल, श्रीफल, सम्मानपत्र व स्मृतिचिन्ह के माध्यम से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में समस्त योग सहेलियों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डाॅ. हरिराम, किशनचन्द्र सोनी, कामिनी बघेल, डाॅ. अजय कुमार गुप्ता, निहाल चन्द्र शिवहरे, साकेत सुमन चतुर्वेदी, जगदीश लाल, अर्जुन सिंह चाँद, आरिफ शहडोली, संजय तिवारी राष्ट्रवादी, डाॅ. रंजना सिंह, डाॅ. सुमन मिश्रा, डाॅ.सुनील तिवारी, रोहित विनायक, रिपुसूदन नामदेव, वाई. के. शर्मा, सुदर्शन शिवहरे, मनमोहन मनु, प्रवीण सहित योग सहेलियाँ गीता मुदगिलयार, राजकुमारी वर्मा, मालती चौधरी, सुनीता वर्मा, गीता आर्य, शकुन्तला जौहरी, कमला जैन, नीलम बिलौनिया, नीता शर्मा, मीना मदान, बीना दिवाकर, उमा साहू, मोहिनी श्रीवास्तव, सपना साहू, आशा देवी, कुसुम झाँ, साधना खरे, प्रभा कारलेकर, शशिकान्ती गुप्ता, सुधा जाटव, माधुरी शर्मा, रीता श्रीवास्तव, रीना रानी श्रीवास्तव, गायत्री वर्मा आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में महिला कवि गोष्ठी का आयोजन कुंती हरिराम की अध्यक्षता, डाॅ. मुहम्मद नईम के संचालन में किया गया, जिसमें अलका सिंघई (अमरावती), साधना मिश्रा (लखनऊ), करुणा प्रजापति (इंदौर), आरती सोमाणी (अमरावती), नेहा शर्मा (नोएडा), किरण सेठ (अमरावती), ममता नौगरिया (बदायंू), लता सिंघई (अमरावती), संजय तिवारी राष्ट्रवादी, नईम कोंचवी, आरिफ शहडोली आदि ने ओज व वीर रस की कविताओं का पाठ किया। आभार ज्ञापन डाॅ. एस. के. दुबे द्वारा व्यक्त किया गया।