झांसी। नित्य लीला निकुंज निवासी गुरुदेव भगवान महंत बिहारी दास की सत्प्रेरणा से वर्तमान महंत राधामोहन दास महाराज के गद्दी पर विराजमान महोत्सव के उपलक्ष्य में कुंज बिहारी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास महंत राधामोहन दास ने कहा कि मन की निरर्थक कुंठाओं का त्याग कर दूसरे की संपत्ति या प्रगति देखकर हमें ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए अन्यथा सदैव दुखी रहोगे।

उन्होंने कहा कि मनुष्य का तन सुंदर हो न हो परंतु मन सुंदर होना चाहिए,यदि हमारा मन सुंदर होगा तो परमात्मा हमारे हृदय में ठहर पाएगा।अच्छे कर्मों का फल सदैव अच्छा मिलता है इसलिए हमें फल की इच्छा किए बिना ही मन को सतकर्मों में लगाना चाहिए। नारद मुनि एवं वेद व्यास का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब माता कुंती से कुछ मांगने को कहा गया तो वे भगवान से सदैव दुख मांगती है। उसका कारण बताते हुए माता कुंती ने कहा कि जीव को सुख मिलता है तो वह परमात्मा का स्मरण नहीं करता किंतु जब-जब वह दुखी होता है तो सदैव उसे परमात्मा का स्मरण बना रहता है। “दुख में सुमिरन सब करें सुख में करे न कोई,जो सुख में सुमिरन करें तो दुख काहे को होय “।भीष्म पितामह के चरित्र एवं विदुर जी पर भगवान की कृपा का विस्तार से वर्णन करते हुए उन्होंने सुंदर भजन सुनाया “सबसे ऊंची प्रेम सगाई दुर्योधन के मेवा त्यागे, साग विदुर घर खाई “।वे कहते हैं कि भगवान तो भाव के भूखे होते हैं। फालतू का घमंड करने वाले दुर्योधन के घर प्रभु ने मेवा मिष्ठान की तरफ दृष्टिपात भी नहीं किया और प्रेम प्रदर्शित करने वाले विदुर जी के यहां प्रभु ने केले के छिलके भी बड़े चाव से खाए। अपने कोकिल कंठ से भागवत सरिता की रसधार बहाते हुए राधा मोहन दास महाराज ने कहा कि भगवान के भक्तों की कोई जाति नहीं होती है।” जाति पांत पूंछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि को होई”।कलयुग के रहने के पांच स्थान बताते हुए महंत ने कहा कि जुआ, शराब, वेश्यावृत्ति,पशु वध के अलावा अनीति से कमाये गये धन में कलियुग का वास होता है। अतः सदैव नीतिगत व्यापार, नौकरी अथवा श्रम कर ईमानदारी से कमाए गए पैसे से तरक्की पर तक की मिलती है।
संचालन करते आचार्य राम लखन उपाध्याय ने पुराण पूजन कराया।

प्रारंभ में यजमान उर्मिला अनिल तिवारी,संगीता संजीव दुबे, सरोज शीतल तिवारी, रेशमा राजकुमार सिंह, अनुराधा गोपाल तिवारी, समता राममोहन तिवारी एवं रुचि मयंक अग्रवाल, शैली मृदुल खरे ने कथा व्यास का माल्यार्पण करते हुए श्रीमद् भागवत पुराण की आरती उतारी।अंत में मनमोहन दास मनु महाराज ने आभार व्यक्त किया।