लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अफसरों को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हिदायत दी गई है कि विधायकों का फोन नहीं उठाने पर कार्रवाई की जाएगी। योगी सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि वह जन प्रतिनिधियों को पूरा सम्मान करें और उनके फोन आने पर उनका कॉल रिसीव करें। नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि अगर वे बैठक में हैं तो काल की सूचना मिलने पर तत्काल ही जनप्रतिनिधि को कॉल बैक करेंगे। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो अब संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही का प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेज दिया जाएगा। दरअसल, पिछले विधानसभा सत्र के दौरान कई दलों के सदस्यों ने मांग उठाई थी कि जिलों में तैनात डीएम, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी उनके फोन नहीं उठाते। जनता से जुड़े कामों के लिए अधिकारियों से संपर्क करना मुसीबत बनता जा रहा है। इस पर सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि अधिकारियों को सख्त हिदायत दी जाएगी कि वे विधायकों/जनप्रतिनिधियों का फोन उठाएं और शिकायतों का वाजिब हल कराएं। अभी कुछ ही दिन पहले मुख्य सचिव ने भी इस मामले की समीक्षा कर सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए थे।

इस मामले में अब संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव ने आदेश सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, डीजीपी, मंडलायुक्त व डीएम को दिया है। असल में इसी महीने हुई संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठक में कहा गया पहले जारी हो चुके आदेशों के बावजूद मंडल व जिला स्तर पर अधिकारी जनप्रतिनिधियों को अनुमन्य प्रोटोकाल नहीं दे रहे हैं। वे जनप्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाते हैं। कार्यालय में फोन नंबर लिखवाने के बावजूद अधिकारी काल बैक नहीं करते। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह निर्देश दिया है कि सभी अधिकारी शिष्टाचार व अनुमन्य प्रोटोकाल व सौजन्य प्रदर्शन का हर हाल में पालन करें। पिछले साल जून में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र भी इसी तरह का आदेश जारी कर चुके हैं।

तीन महीने की सूचना मांगी गई : संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव जेपी सिंह ने कहा है कि सांसदों व विधानसभा व विधान परिषद सदस्यों के पत्रों पर प्रभावी कार्यवाही करने व इसके लिए नोडल अधिकारी नामित करते हुए इसकी सूचना शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया था। देखने में आ रहा है कि कुछ विभाग व जिलों द्वारा अपने से संबंधित अपेक्षित सूचनाएं समय से उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। आपसे पुन: अनुरोध है कि इस तरह के शासनादेश का कड़ाई से पालन कराते हुए एक अक्तूबर 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक की वांछित सूचनाएं 15 दिन में उपलब्ध कराएं। इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, डीजीपी, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, एसएसपी व एसपी को पत्र भेजा गया है।