बुविवि में दो दिवसीय लेखक सम्मिलन शुरू

झांसी। साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष आचार्य विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि लेखक वही है जो अपनी अभिव्यक्ति की समस्या को सुलझा दे। समाज को नया साहित्य देना चुनौतीभरा काम है। वे बुंदेलखंड विष्वविद्यालय के हिंदी संस्थान के तत्वाधान में गांधी सभागार में आयोजित दो दिवसीय हिंदी लेखक सम्मिलन के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज अभिव्यक्ति का संकट बहुत बड़ा है। लेखक के दो ही काम है – पहला देखना और दूसरा लिखना। आचार्य श्री तिवारी ने कहा कि लेखक वह है जो सीख सकता है, लेखक जो अनुभव करता है उसे लिख देता है। साथ ही यह भी बताया कि पाठक के मन तक पहुंचने के लिए लेखक को उनके मन के भावों की समझ होनी चाहिए। यही बात की समझ उसकी कुशलता को निर्धारित करती है। उन्होंने कहा कि सब्जेक्टिविटी हर क्रिएटिविटी का मूल है। लिखते समय कवि को समाधिस्थ स्थिति में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भरत मुनि से लेकर पंडित रामचंद्र शुक्ल समेत सभी का साहित्य रचनात्मकता पर ही आधारित है। उन्होंने कहा कि साहित्य बहुत व्यापक है। इसमें इतिहास, भूगोल और तमाम विषय आ जाते हैं।
आचार्य श्री तिवारी ने सर्जनात्मक लेखन की बारीकियों का भी विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने युवाओं का आहवान किया कि रचनात्मकता से समाज को सही दिशा देने की चुनौती को मन से स्वीकार करें।
बुंविवि के पूर्व कुलपति प्रो सुरेंद्र दुबे ने प्रो विश्वनाथ तिवारी को पदमश्री मिलने पर बहुत गर्मजोशी से बधाई दी। उन्होंने लेखक सम्मिलन के आयोजन पर हिंदी संस्थान के प्रमुख और शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने पांच साल बाद भी विश्वविद्यालय में रचनात्मकता का बेहतरीन माहौल बनाए रखने के लिए हिंदी संस्थान के शिक्षकों की खुले मन से तारीफ की। उन्होंने लेखन की खूबियों का भी जिक्र किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिदी साहित्य परिषद कार्यशाला के संरक्षक रामदेव शुक्ल ने युवाओं का आहवान किया कि तमाम संकटांे से पार पाते हुए मनुष्यता को बचाए रखना है। उन्होंने कहा कि आज मशीन का युग हैै। मनुष्य को मशीन के अनुशासन का पालन करते हुए काम करने की चुनौती से दो चार होना पड़ रहा है।
शुरुआत मेें दोे दिवसीय सम्मिलन के आयोजक प्रो मुन्ना तिवारी ने सभी अतिथियांे का गर्मजोशी से स्वागत किया और आयोजन की विस्तृत रूपरेखा भी पेश की। इस कार्यक्रम में प्रो एसपी सिंह, कुलसचिव विनय कुमार सिह, साहित्य अकादमी के संपादक अनुपम तिवारी ने विचार रखे। कार्यक्रम में डा. आरके सैनी, डा. अचला पाण्डेय, डा. श्रीहरि त्रिपाठी, डा. नवीन चंद पटेल, डा. यतींद्र मिश्र, डा. अनुपम व्यास, डा. अनूप, डा उमेश कुमार, डा, श्वेता पाण्डेय, डा जय सिंह, अभिषेक कुमार आदि उपस्थित रहे।