झांसी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जफ़ीर अहमद के न्यायालय में जानलेवा हमले का दोष सिद्ध होने पर दो भाईयों सहित तीन अभियुक्तों को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई है।

जिला शासकीय अधिवक्ता मृदुल कान्त श्रीवास्तव व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी रवि प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि वादी मुकदमा चन्द्रभान यादव पुत्र दृगपाल यादव ग्राम मलेहटा थाना एरच ने तहरीर देते हुए बताया था कि ०४ अप्रैल को २०१३ को सुरेश पुत्र लक्ष्मन यादव के जानवर चने के खेत में नुकसान कर रहे थे, जिसको मना करने पर विवाद हो गया था। आज ०५ अप्रैल २०१३ को उसके पिता द्रगपाल सिंह यादव तथा भाई सूरज सिंह यादव खेत में चना की कटाई कर रहे थे, करीब चार बजे शाम को रामशंकर पुत्र इन्दल सिंह यादव व रामनारायण घुरके, सुशील पुत्र महीपत यादव, कैलाश पुत्र इन्दल यादव निवासीगढ़ मलेहटा ने आकर उसके पिता व भाई को पंचायत के लिये बुलाया , पिता व भाई जैसे ही पंचायत के लिये पहुंचे तभी सभी लोग हाथ में कुल्हाड़ी व डण्डा लेकर आए और पिता व भाई पर हमला कर घायल कर दिया, शोर होने पर बहुत से लोग मौके पर आ गये तब मुल्जिमान गाली व जान से मारने की धमकी देते हुये भाग गये।

लिखित तहरीर के आधार पर धारा-३२३,३२४, ५०४, ५०६ भा०दं०सं०, के तहत थाना-एरच में अभियुक्तगण रामशंकर, राम नारायण, सुशील एवं कैलाश के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में अभियुक्तगण रामशंकर यादव, सुशील यादव एवं कैलाश यादव के विरूद्ध धारा-३०७/३४, ३२३/३४, ३२४, ३२५, ५०४, ५०६ मा०द०सं० व अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-३(१) १० के तहत अपराध के विचारण हेतु आरोप विरचित किया गया, आरोप विरचित होने के पूर्व घायल दृगपाल सिंह की
३० जुलाई २०१५ को मृत्यु हो गयी। न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्यों एवं गवाहों के आधार पर सिद्ध दोष अभियुक्त रामशंकर यादव, सुशील यादव एवं कैलाश यादव प्रत्येक को भा०दं०सं० की धारा-३०७/३४ के आरोप के अन्तर्गत दस-दस साल सश्रम कारावास एवं बीस-बीस हजार रूपये के अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने की दशा में दो-दो वर्ष के अतिरिक्त कारावास, धारा-३२३/ ३४ के आरोप के अन्तर्गत एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं एक-एक हजार रूपये के अर्थदण्ड ,अदा न करने की दशा में एक-एक माह के अतिरिक्त कारावास ,धारा-३२५ के आरोप के अन्तर्गत चार-चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच-पांच हजार रूपये के अर्थदण्ड, अदा न करने की दशा में तीन-तीन माह के अतिरिक्त कारावास, धारा-५०६ के आरोप के अन्तर्गत दो-दो वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीन-तीन हजार रूपये के अर्थदण्ड ,अदा न करने की दशा में एक-एक माह के अतिरिक्त कारावास की सज़ा सुनाई गई।