कर्मचारियों के उत्पीड़न के विरोध में बीएमएस का अल्टिमेटम, अन्य संगठनों के समर्थन की दरकार 

झांसी। भारतीय मजदूर संघ जिला इकाई झांसी ने बैगन मरम्मत कारखाना झांसी में कर्मचारियों के उत्पीड़न की कार्यवाही के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। भारतीय मजदूर संघ की ओर से 15 दिन का अल्टिमेटम दिया गया है। इस संबंध में मुख्य कारखाना प्रबंधक झांसी, मुख्य कार्मिक अधिकारी औद्योगिक संबंध उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज, सहायक श्रम आयुक्त केंद्रीय झांसी को पत्र लिखकर मांग की गई है कि कर्मचारियों का उत्पीड़न तत्काल बंद किया जाए जिन कर्मचारियों को भारी दंड देकर दंडित किया गया है उनको अविलंब निरस्त किया जाए तथा तत्काल रेल सेवा में लिया जाए।

संगठन के जिला अध्यक्ष सीके चतुर्वेदी ने बताया है कि कारखाना प्रबंधन ने नियम कानून को ताक रखकर अनफेयर लेबर प्रेक्टिस अपनाते हुए श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन किया है जिसके लिए दंड विधान निर्धारित है। यदि भारतीय मजदूर संघ के इस पत्र का संज्ञान लेकर कर्मचारियों के पक्ष में 15 दिन में अभिलंब निर्णय नहीं लिया गया तो संघ आंदोलन एवं कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेने के लिए बाध्य होगा।

बीएमएस ने रेलवे पर कार्य कर रहे मान्यता प्राप्त संगठनों एवं अन्य सभी श्रमिक संगठनों व एसोसिएशनों से भी कर्मचारियों के हित में सहयोग के लिए आह्वान किया है। भारतीय मजदूर संघ जिला इकाई ने पत्र की प्रति राष्ट्रीय सचिव भारतीय मजदूर संघ, राष्ट्रीय महामंत्री भारतीय रेलवे मजदूर संघ, उत्तर प्रदेश महामंत्री बीएमएस को भेज कर इस प्रकरण को उच्च स्तर पर हल करने हेतु सहयोग की मांग की है।
इस दौरान मुख्य रूप से विभाग प्रमुख अवधेश सक्सेना, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनिल कुमार तिवारी, जिला मंत्री विजय नारायण शर्मा, महामंत्री हेमंत कुमार विश्वकर्मा, वेद प्रकाश पुरोहित, नीरज वर्मा, उपाध्यक्ष मुकेश मिश्रा, गीता सचान, ज्योत्सना सिंह, पुत्तू सिंह, ओपी शर्मा, मंडल अध्यक्ष सतीश गुप्ता, पप्पू राम सहाय, मंडल मंत्री ए के शुक्ला, दया निधि मिश्रा, आर के ठकुरानी, मोहित रायकवार, नीरज, विवेक, कपीश इत्यादि उपस्थित रहे। जिला संगठन मंत्री एम के नगाइच जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
अब देखना यह है कि उमरे मुख्यालय व झांसी बैगन मरम्मत कारखाना प्रबंधन इस मामले में क्या कदम उठाता है। यदि मान्यता प्राप्त संगठनों का साथ बीएमएस के इस कर्मचारी हितैषी मुद्दे को मिला तो एक बार फिर से वर्कशॉप में औद्योगिक अशांति हो सकती है। पहले से ही कर्मचारियों में कारखाना प्रबंधन के सख्त दण्डात्मक रवैए से असंतोष का ज्वालामुखी सुलग रहा है।