डीआरएम ऑफिस पर बेघर परिवारों के साथ धरने पर बैठे प्रदीप जैन सहित कांग्रेसी 

झांसी। उत्तर मध्य रेलवे के झांसी रेल मंडल मुख्यालय पर रेलवे बंगलों के आउटहाउस को खाली कराने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य द्वारा छेड़े गए विरोध से सोमवार को रेल प्रशासन बैकफुट पर आ गया। रेल प्रशासन ने आउट हाउसों को खाली कराने के अल्टिमेटम पर मार्च 24 तक रोक लगा दी है। फिलहाल इससे आउट हाउसों के परिवारों ने राहत की सांस ली है।

गौरतलब है कि रेलवे कालोनी में बढ़ती चोरी की घटनाओं के मद्देनजर आउट हाउसों को खाली कराने की कवायद शुरू की गई थी। इसके तहत आवास खाली करने का नोटिस थमा दिया गया था। इसका विरोध एनसीआरईएस द्वारा किया गया था। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने प्रभावित परिवारों से मिल कर ढांढस बंधाया था। सर्दी के मौसम में घर खाली करने के मिले आदेश के खिलाफ सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के नेतृत्व में कांग्रेसी व प्रभावित परिवार रेल प्रशासन के आदेश के विरोध में मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करने लगे।

पीड़ितों ने बताया कि यह लोग रेलवे बंगलों के आउट हाउसों में पिछले 40-50 साल से परिवार सहित रह रहे हैं और चार दिन पहले ही उन्हें घर खाली करने का आदेश रेलवे की ओर से दिया गया है। रेलवे आवास बंगलों के आधार पर इन लोगों ने आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड भी बनाये गये हैं और अब उन्हें अवांछित बताया जा रहा हैं। पीड़तों ने मांग की कि उन्हें सर्दी के इस मौसम में कम से कम तीन माह का समय दिया जाएं ताकि वह अपने परिवार की कहीं और व्यवस्था कर पायें।

पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य कहा कि जब सरकार कहती है कि हर किसी के सिर पर छत हो तो फिर सर्दी के मौसम में इन लोगों को बेघर क्यों किया जा रहा है। इस आदेश से पहले इन लोगों को समय दिया जाना चाहिए था । प्रदर्शन कर रहे लोगों में कई बीमार हैं, वृद्ध हैं, गभर्वती महिलाएं छोटे बच्चे हैं और यह सब बढ़ती सर्दी के इस मौसम में घर छिन जाने के बाद क्या करेंगे, कहां रहेंगे ,इस सवाल पर रेलवे ने जरा भी विचार
नहीं किया। अचानक आदेश और फिर लगातार लोगों को घर खाली करने के लिए परेशान करना क्या दिखाता है। इन आवासों के आधार पर उनके आधार, चुनाव , आयुष्मान और राशन कार्ड कैसे बना दिये गये। इन्हें उज्जवला योजना के तहत गैस के सिलेंडर किस आधार पर दिये गये। सरकार की जिम्मेदारी है घर खाली करने से पहले इन्हें नया घर बनाने या तलाशने का समय दिया जाए।

उन्होंने रेलवे प्रबंधन से प्रभावितों को पर्याप्त समय देने की मांग की साथ ही कहा कि रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर वहां इन्हे रहने का स्थायी ठिकाना दिया जाए। यदि रेल प्रशासन यह नहीं कर पा रहा है तो जिला प्रशासन को इनकी व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि सरकार का भी यह कहना है कि हर सिर पर छत होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारी इन लोगों से किराया भी वसूलते हैं लेकिन अचानक इनको बेघर करने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।

श्री जैन ने कहा वह अन्याय कभी नहीं होने देंगे। जहां इन गरीबों का पसीना गिरेगा वहां हम खून बहा देंगे लेकिन इन्हें बेघर नहीं होने देंगे। अगर बुलडोजर चला तो सबसे पहले हमारे ऊपर चलेगा अगर गोली चली तो पहली गोली हमारे सीने पर चलेगी। पुलिस की पहली लाठी और गोली हम खायेंगे फिर इन तक कोई पहुंच पायेगा।

मामले को तूल पकड़ता देख रेलवे के अधिकारियों सीनियर जीईएम आशुतोष चौरसिया, आरपीएफ कमांडेंट विवेकानंद मिश्रा ने श्री जैन के साथ प्रभावितों के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की और 31 मार्च तक का समय घर खाली करने के लिए दिया। श्री जैन ने बताया कि उन्होंने आश्वासन दिया कि 31 मार्च से पहले इन लोगों से घर खाली नहीं कराये जायेंगे। इस दौरान विवेक कुमार बाजपेई एंड, इम्तियाज हुसैन सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी उपस्थित रहे।