झांसी । करीब 40 वर्षों से मुकदमे के दौरान कई अभियुक्तों की मौत के बाद अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश (द०प्र०क्षे०)/अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालग संख्या – 2, विजय कुमार वर्मा- प्रथम की अदालत में तीन अभियुक्तों को दो-दो वर्ष के कारावास एवं अर्थदंड से दंडित किया गया है।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेन्द्र पांचाल के अनुसार प्रथम वादी मुकदमा नूर अहमद मंसूरी ने 02 जनवरी 1983 को कोतवाली में तहरीर देते हुए बताया था कि उसके भाई मंसूर अहमद मंसूरी वैश्यावृत्ति उन्मूलन समिति के अध्यक्ष हैं। सराय वैश्यालय में आयी लड़की को छुड़ाने के लिए छापा डलवाकर जब मेरा भाई
वापस लौटा तो मैने देखा कि मेरे घर कि ओर से हरी पुत्र मुन्नु, जमील, रहमान पुत्रगण जरीना वैश्या व मुरारी उर्फ मुल्लू, रुकसाना, कमाल, मजीद बानो आदि वेश्याओं ने एक दल में आकर अनवर की चक्की के पास दबोच लिया और घसीटते हुए मुझे ले जा रहे थे। इतने में मेरे भाई मंसूर अहमद मंसूरी आ रहे थे जिन्होंने मुझे बचाने की कोशिश की तो इन लोगो ने उसे भी मारा। मुहल्ले के काफी लोग जमा हो गये पर ये लोग हाथ में चाकू लिये हुए आ रहे थे और मेरे ऊपर पत्थर पटक रहे थे। ये लोग हाथो में खुली रिवाल्वर लिये हुए मुहल्ले वालों को दिखा रहे थे कि कोई बचाने आया तो उसे भी मार देंगे। बाद में मुहल्ले में भीड़ जमा देखी तो ये लोग भागने लगे। भागते वक्त हरी ने मेरी घड़ी छीन ली और मुल्लु ने मेरी जेब से पर्स निकाल लिया। ये लोग मुझे मरा समझकर छोड़कर भाग गये।

वादी मुकदमा नूर अहमद मंसूरी की उक्त लिखित तहरीर के आधार पर अभियुक्तगण हरीराम राय, मुल्लू उर्फ मुरारी, जमील अहमद, रूकसाना, कमला उर्फ इकबाल जहा, जमील अहमद के विरूद्ध धारा 395 भाव्द०सं०के तहत थाना कोतवाली में मुकदमा नामजद पंजीकृत किया गया। विवेचना उपरान्त पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया।
दौरान विचारण अभियुक्तगण बानो, आमना, हरीराम राय, मुल्लू उर्फ मुरारी एवं मजीद उर्फ सिराजुल तथा रहमान की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरूद्ध वाद की कार्यवाही उपशमित की गई। शेष अभियुक्तगण रूखसाना, कमला उर्फ इकबाल जहाँ व जमील अहमद के विरूद्ध प्रस्तुत साक्ष्यों एवं गवाहों के आधार पर न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध अभियुक्तगण रूखसाना, कमला उर्फ इकबाल जहां एवं जमील अहमद को धारा 323 भा०द०सं० में एक- एक वर्ष के साधारण कारावास एवं एक- एक हजार रूपये के अर्थदण्ड , अर्थदण्ड अदा न करने पर एक माह के अतिरिक्त कारावास ,धारा 324 भादं०सं० में दो- दो वर्ष के साधारण कारावास एवं दस-दस हजार रूपये अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने पर दो- दो माह के अतिरिक्त कारावास की सज़ा सुनाई गई।अर्थदण्ड की धनराशि में से 50 प्रतिशत धनराशि वादी मुकदमा व चुटैल को प्रतिकर के रूप में देय होगी।