झांसी। झांसी में बेटा की चाहत में चार बेटियां हो गईं, किंतु आर्थिक विपणन्नता के चलते बेटियों का पालन पोषण मुश्किल हो गया और उनकी शादी की चिंता सताने लगी। आर्थिक हालात नहीं सुधरे तो बेटियों के पिता ने समस्या के समाधान के लिए मौत को गले लगा लिया, किंतु अब भी परिवार में बेटियों के पालन पोषण के सवाल का निदान नहीं निकला। परिवार में कोहराम मचा हुआ है।

जिले के चिरगांव क्षेत्र अंतर्गत ग्राम छिरौना निवासी करीब 30 वर्षीय दीपक कुशवाहा अपने परिवार में इकलौता पुत्र था और जीवकोपार्जन हेतु वह जनरल स्टोर की दुकान पर नौकरी करता था। उसकी दादी सब्जी बेचने का काम करती थीं। काफी प्रयास के बाद भी जब बेटा नहीं हुआ और इस चक्कर में उसके चार बेटियां हो गईं तो वह और परेशान रहने लगा। जब इसकी जानकारी उसके चचेरेे भाईयों को हुई तो उन्होंने समझाने का प्रयास करते हुए कहा कि उनकी मदद करेंगे। इसके बाद भी वह परेशान रहता था।

गुरुवार सुबह दीपक अपनी दादी को चिरगांव छोड़ने गया था। जहां से वापस लौटकर घर आया और उसने नाश्ता किया। इसके बाद अपने कमरे में चला गया। उसकी पत्नी खेत पर चली गई। काफी देर तक जब वह कमरे से बाहर नहीं निकला पत्नी को चिंता हुई और वह कमरे पर गई। जहां दरवाजा अंदर से बंद था। उसने शोर मचाया तो परिवार के अन्य सदस्य वहां पहुंचे और दरवाजा तोड़ा तो देखा दीपक बेल्ट से फांसी पर लटक रहा था। आनन-फानन में उसे उतारा और चिंरगावं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए। जहां से उसे झांसी मेडिकल कालेज भेज दिया गया। यहां आने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

बेटा नहीं होने से डिप्रेशन में था

मृतक के चाचा ने बताया, ” दीपक अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। वह चाहता था कि उसके एक बेटा हो जाए। लेकिन एक के बाद एक 4 बेटियां हो गई। दीपक के पास मात्र 3 बीघा जमीन थी। ऐसे में उसे बेटियों के पालन पोषण और शादी की चिंता सताने लगी थी। कई बार वह इसका जिक्र भी करता था, तब मैंने उसे समझाया कि सब हो जाएगा। मैंने यहां तक कह दिया था कि एक बेटी की शादी का पूरा खर्चा मैं दे दूंगा। एक व्यक्ति ने दूसरी बेटी की शादी की जिम्मेदारी ले ली थी। फिर भी वह डिप्रेशन से बाहर नहीं आ पाया और उसने सुसाइड कर लिया।”