– डॉ. अंकित सिंह (बालरोग सर्जन) ने की सफलतापूर्वक सर्जरी

झांसी। उत्तर प्रदेश निवासी 6 महीने की बच्ची की दुर्लभ और जन्मजात, ब्लैडर एक्सस्ट्रोफी नाम की बीमारी देशी पीड़ित थी। यह बीमारी दस लाख में से दो बच्चों में पाई जाती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के यूरिनल ब्लैडर (पेशाब संग्रह) पेट की दीवार से बाहर आने की वजह से व्यक्ति मूत्रमार्ग से लघुशंका करने में असमर्थ होता है।
झांसी के राघवेन्द्र अस्पताल के डॉ अंकित सिंह पेडियेट्रिक सर्जन ने हाल ही में ब्लेडर एक्सस्ट्रोफी नाम की एक दुर्लभ व जटिल तरीके की जन्मजात बीमारी से पीड़ित जिला इटावा ग्राम मसूद की एक छ: माह की बच्ची की सफलता पूर्वक सर्जरी की और बच्ची को इस दुर्लभ बीमारी से मुक्ति दिलाई।

दरअसल, जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्ची को इलाज के लिए डॉ अंकित सिंह के पास लाया गया। इस समस्या के कारण रोगी के पेट की दीवार का आगे का भाग अनुपस्थित था, जिस कारण पेट के आगे का हिस्से से यूरिनल ब्लैडर (पेशाब संग्रह) बाहर आ गया था। ब्लैडर एक्सस्ट्रोफी एक दुर्लभ जन्म दोष है, जो दस लाख में से लगभग दो बच्चों में होता है। मूत्राशय बाहर होने के कारण इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति स्वाभाविक रूप से पेशाब करने में असमर्थ होता है। लंबे समय तक ब्लैडर एक्सस्ट्रोफी की समस्या को नजरअंदाज करने से निचली पेल्विक हड्डियां अलग होने लगती हैं। इसलिए जब तक पेल्विक हड्डियां एक दूसरे के करीब नहीं आती तब तक इस जटिल समस्या का उपचार किया नहीं जा सकता। बच्ची के अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉ अंकित सिंह (पेडियाट्रिक सर्जन) एवं उनकी टीम के द्वारा 6 माह की बच्ची का 5 घंटे की जटिल सर्जरी की गई कम्पलीट प्राइमरी रिपेयर आफ एक्सस्ट्रोफी किया गया, जिसमें मूत्राशय को आंतरिक रूप से बंद कर दिया गया और मूत्राशय के नैक को रिपेयर किया गया। डॉ. अंकित सिंह (अस्पताल के बाल रोग सर्जन) ने बताया कि आपरेशन के बाद मरीज पूरी निरंतरता के साथ मूत्रमार्ग के माध्यम से पेशाब कर सकेगी। आथोर्पेडिक प्रक्रिया में पेल्विक हड्डियों को नियंत्रित तरीके से दोनों तरफ से तोड़ा गया था और पेल्विक हड्डियों की दिशा बदलकर पेल्विक हड्डियों के आगे के हिस्से को एक साथ लाया गया। इसके अलावा, मोटी मार्सेलिन टेप का उपयोग करके रोगी की पेल्विक हड्डियों को एक साथ लाने के लिए एक नई तकनीक का उपयोग किया गया, क्योंकि स्टेनलेस स्टील के तार आमतौर पर बच्चों की हड्डियों के लिए खतरनाक होते हैं। पेल्विक हड्डियों को स्थिर करने के लिए एक बाहरी फिक्सेटर का उपयोग किया गया।

उन्होंने कहा कि यह बताते हुए गौरव महसूस हो रही है कि बच्ची अब चलने, दौड़ने और अपने दोस्तों के साथ खेलने में सक्षम रहेगी। यह सर्जरी जो कि अब तक विश्व में रजिस्टर्ड नंबर विश्व की 41वी सर्जरी तथा भारत की सफल सर्जरी की गई आप सभी को बड़े गर्व की अनुभूति होगी कि अब आपके शहर झांसी में उच्चतम तकनीक एवं अति जटिल सफल सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है बच्ची के सफल आपरेशन के बाद अब बच्ची पूर्ण रूप से स्वस्थ है एवं बच्ची के परिवार वाले परिजन अति प्रसन्न हैं कि हमारी बच्ची डॉक्टरों की मेहनत से एक सामान्य मनुष्य का जीवन जी सकेंगी अन्यथा अविक्षित जननांगों को लेकर हमारी बच्ची का जीवन नर्क समान था बच्ची के परिवारजन डॉक्टर अंकित सिंह पीडियाट्रिक सर्जन व उनकी डॉक्टरों की टीम का धन्यवाद करते हैं महत्वपूर्ण बात यह है कि राघवेन्द्र मल्टी- स्पेशियलिटी अस्पताल उन्नत सर्जिकल सुविधाओं से सुसज्जित है और इन सुविधाओं के माध्यम से अस्पताल कई सफल जीवन रक्षक सर्जरी की हैं।

राघवेन्द्र अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. आर आर सिंह एवं डॉ संगीता सिंह ने कहा कि इस प्रकार की जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी केवल एक बहु- विषयक टीम और अनुभवी एनेस्थेटिक, गहन देखभाल और पैरामेडिक बैकअप के साथ ही संभव है। पिछले कुछ वर्षों राघवेन्द्र हॉस्पिटल विभिन्न जटिल मामलों के गुणवत्तापूर्ण उपचार का केंद्र बन गया है, क्योंकि समस्त बुंदेलखंड और देश भर से चुनौतीपूर्ण तकलीफों से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भेजा जाता है।