विश्व जल दिवस पर पानी के लिए शांति हेतु वाटर लीडर्स सम्मेलन में जल विशेषज्ञों समेत जल सहेलियों व छात्रों ने की शिरकत

झांसी। जल पृथ्वी की आत्मा है। हम अपना जीवन जल के बिना सोच भी नहीं सकते। फिर भी, आधुनीकरण के चलते हमने अपने जल श्रोतों को आघात किए जा रहे हैं I यह बातें वाटर लीडर्स सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. रचना बिमल ने कहीं। पानी के लिए शांति विषय पर आयोजित कार्यक्रम बुन्देलखण्ड अभियान्त्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में हुआ। इसमें जल विशेषज्ञों समेत जल सहेलियों व छात्रों ने की शिरकत की।

परमार्थ समाज सेवी संस्थान व बुन्देलखण्ड अभियान्त्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉक्टर रचना बिमल ने कहा कि यमुना जैसी कल कल करके बहने वाली नदियां कीचड़ के रूप में परिवर्तित होती जा रही हैं I विकास ने विनाश का रूप ले लिया है। हम सबको चाहिए कि जल के प्रबंधन और उपयोग पर विचार करें और जल को संरक्षित करने की ओर निरंतर प्रयास करें। डॉ. बिमल दुबे ने जल सहेलियों की प्रशंसा की और सभी जल सहेलियों को जल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया।

परमार्थ संस्था के सचिव संजय सिंह परमार्थ ने अपने 30 वर्षो के जल पर किए हुए कार्यों को सभी के साथ साझा करते हुए कहा कि जल संरक्षण एक अहम मुद्दा है हम सभी को चाहिए कि हम जल संरक्षित करने का ना सिर्फ संकल्प लें बल्कि अपने अपने घरों और आस पड़ोस में सभी को इसके प्रति जागरूक करें I जिस प्रकार जल सहेलियाँ कई वर्षों से अपने अपने गाँव में निरंतर संघर्ष कर रही हैं और आज भी ग्राम स्तर पर पानी के लिए लड़ाई लड़ रही हैं उसी कर्मठता से हम सबको प्रयास करने की जरूरत है I
बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनीयरिंग एंड टेक्नोलोजी के सिविल इंजीनीयरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अभय कुमार वर्मा ने जल प्रबंधन के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए इस विषय पर नई तकनीकी और आर्टिफ़िश्यल इंटेललिजेंस के उपयोग की विशेषता को महत्वपूर्ण बताया I

सिफ़प्सा डीपीएम आनंद चौबे ने जल संरक्षण पर प्रकाश डालते हुए इस विषय पर नई पीढ़ी खासतौर पर विध्यार्थियों को इस विषय पर जागरूक करने का महत्व साझा किया I इसके साथ ही आधुनिकरण की वजह से जो दिन प्रतिदिन पानी बर्बाद हो रहा है उसे बचाने पर प्रकाश डाला I

वरिष्ठ पत्रकार एवं संयोजक लोक सांसद रविशंकर तिवारी ने यमुना बचाव अभियान के अनुबहव साझा किए एवं यहा के छोटी नदियां कैसे बचाई जा सकतीहैं इस पर विचार साझा किए। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. उत्कर्ष सिन्हा ने जल सहेली मोडेल कैसे और किन परिस्थितियों में प्रारम्भ किया गया इसके बारे में बताते हुए अपने चंबल क्षेत्र में पानी के लिए काम करने के दौरान के अनुभव साझा किए।

इस दौरान शशि, उषा देवी, सोनम प्रजापति, प्रतिफल सिंह, सुधा अहिरवार, पूजा कुशवाहा, रञ्जनी सोर, छाया परिहार, प्रीति यादव, ममता बुंदेला, सुरेश कुशवाहा, रमशंकर, आरती देवी, रानी अहिरवार, सरोज, पार्वती, अशरम दाँगी, संजय सिंह बुंदेला को पुनिया बाई जल सहेली सम्मान से सम्मानित किया गया एवं 25 अन्य जल सहेलियों को वाटर लीडर सम्मान से सम्मानित किया गया I

निदेशक शिक्षा रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विवि डॉ अनिल गुप्ता ने कृषि में जल के उपयोग के बारे में जल सहेली एवं जल योद्धाओं को जानकारी दी एवं कृषि में जल उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए चक्रीय मॉडल कैसे अपनाया जा सकता है इस पर सुझाव दिये I

कार्यक्रम में अतिथि के रूप में डॉ अनुपम सोनी, सत्यवीर सिंह सोलंकी, सुभाष सिंह,पूर्व रेगोनल डाइरेक्टर केन्द्रीय भूजल बोर्ड, शिव विजय सिंह समेत बड़ी संख्या में जल सहेलियां और इंस्टीट्यूट के छात्र मौजूद थे।