– केन्द्रीय मंत्री, विधायकों व भाजपाईयों ने मणिकर्णिका देखी
झांसी। केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि भारत आजाद तो हो गया है, लेकिन विदेशी सोच से आजाद नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जिम्मेदारी बनती है कि विदेशी सोच से मुक्ति दिलायें, यही वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की आत्मा की आवाज व झांसी की आवाज है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने यह बात विधायकों व भाजपाईयों के साथ झांसी में रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पर आधारित फि ल्म मणिकर्णिका देखने के बाद कही। उन्होंने कहा कि झांसी से ही प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भड़की थी जो 1947 में सम्पूर्ण आजादी दिला के रही थी। अब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिर से विजयी ही होंगे ऐसा झांसी की जनता आर्शीवाद देती है।
प्रारम्भ में केन्द्रीय मंत्री ने रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर माला पहना कर श्रद्धासुमन अर्पित किये व रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष व अंग्रेजों से लोहा लेकर झांसी को उनके चंगुल से बचाने की वीरगाथा के बारे में बताया। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री के साथ बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा, गरौठा विधायक जवाहर सिंह राजपूत, मउरानीपुर विधायक बिहारीलाल आर्य, जमुना कुशवाहा जिलाध्यक्ष झांसी, जगदीश सिह लोधी जिलाध्यक्ष ललितपुर, संजीव श्रृंगीऋ षि क्षेत्रिय उपाध्यक्ष कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र, प्रमोद कुमारी राजपूत जिलाध्यक्ष महिला मोर्चा झांसी, जगत राजपूत मण्डल अध्यक्ष बबीना, अखिलेश श्रीवास्तव मण्डल अध्यक्ष बड़ागांव, जगदीश कुशवाहा मण्डल अध्यक्ष चिरगांव, संजीव अग्रवाल, भारती शरण नायक,
सतीश राजपूत बड़ागांव मण्डल अध्यक्ष युवा मोर्चा आदि बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। सिनेमा घर के अन्दर कुर्सी कम पड़ जाने पर भाजपाईयों ने सीढिय़ों पर बैठ कर फिल्म का आनंद लिया। फि ल्म देखते समय कई सीन ऐसे भी आये जब दर्शकों ने जोर शोर से हर हर महादेव, जय भवानी, झांसी की रानी की जयकारे लगाये।
इस फिल्म के कथानक में दर्शकों में चर्चा रही कि काश ग्वालियर, दतिया, ओरछा के राजाओं ने लक्ष्मीबाई का साथ दिया होता तो इतिहास कोई और करबट ले रहा होता। अंग्रेजों की चापलूसी करने वाले सिंधिया का ग्वालियर का किला व महल की शानोशौकत बरकरार है जबकि अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठाने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई का झांसी का किला वीरान है और उनके खानदान का नामोनिशान नहीं है। फिल्म के एक दृश्य में जहां महारानी जनरल ह्यूरोज को घोड़े से बांध कर घसीटती हैं और झांसी की सम्पति पर से ईस्ट इंडिया कम्पनी के हर अधिकार को नकारती हुई लक्ष्मीबाई का गरजता स्वरूप देखते ही बनता है। एक विधवा महारानी का यह संवाद हम लड़ेंगे, ताकि आने वाली पीढिय़ां अपनी आजादी का उत्सव मना सकें—- झकझोरता है।