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इन्हें नहीं पता वह कौन हैं और कहां से आए, चंद रोटियों के टुकड़ों पर हाड़तोड़ मेहनत 

झांसी। जिले में मानवीय संवेदनाओं को तार तार करने वाला एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने झकझोर कर रख दिया। एक गांव में लगभग डेढ़ दर्जन ऐसे मानव प्रकाश में आए जो मानसिक रोगी थे और उन्हें बंधक बना कर चंद रोटियों पर जानवरों जैसा काम कराया जा रहा था। यह मानसिक रोगी कहां से पकड़ कर बंधक बनाऐ गये रहस्यमय है। तहसील व श्रम विभाग द्वारा जांच की जा रही है।

विक्षिप्तों पर क्रूरता की मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली यह कहानी झांसी जिले में तहसील मोंठ के थाना पूंछ क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बढ़ेरा से निकल कर सामने आई तो सभी हतप्रभ रह गए। दरअसल, हरदास नाम के ग्रामीण ने शिकायत की थी कि बढ़ेरा में डेढ़ दर्जन से अधिक विक्षिप्तों को बंधक बना कर मजदूरी कराई जा रही है। इस पर तहसील, स्वस्थ्य व श्रम विभाग का अमला जांच पड़ताल के लिए गांव पहुंच गया।

गांव में जांच में लगभग 19 ऐसे व्यक्ति मिले जो मानसिक रोगी लग रहे थे। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने कैम्प लगाकर उक्त सभी का परीक्षण किया तो वह मानसिक रोगी निकले। मौके पर मीडिया कर्मियों ने इस पूरे घटनाक्रम को कैमरे में कैद कर लिया। इस मामले में जब मौके पर पहुंची श्रम प्रवर्तन अधिकारी से पत्रकारों ने सवाल किए तो उन्होंने टाल-मटोल पूर्ण जवाब दिया।

सूत्रों का कहना है कि इन विक्षिप्तों को पकड़ -पकड़ कर बंधक बनाकर उन्हें जीवित रहने भर का खाना देकर पशुओं की तरह काम लिया जा रहा था। यह सभी कौन हैं और कहां से आए हैं इनमें से किसी को भी नहीं पता। यह तो बस चंद रोटियों के टुकड़ों पर हाड़ तोड़ काम कर रहे हैं। यही कारण है कि किसी को इनकी परवाह नहीं थी। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।