झांसी। अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के तत्वाधान में “विकलांग विमर्श- अस्तित्व का संघर्ष” विषयक दो दिवसीय 13 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी गीतादेवी रामचन्द्र अग्रवाल विकलांग अस्पताल अनुसंधान एवं निःशुल्क सेवा केंद्र के सभागार में आयोजित की गई। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में जरबौ (बरुआसागर) गाँव के युवा किसान सरोकारी शोधार्थी कुशराज ने राष्ट्रीय विद्वानों और देशभर के 9 राज्यों से आये अनेक शोधकर्ताओं के बीच ‘राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति और विकलांगता’ विषय पर अपने शोधपत्र का उल्लेखनीय वाचन किया।
बिलासपुर में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश से एक मात्र शोधार्थी कुशराज का शोधपत्र को गुणवत्ता के आधार पर वाचन के लिए चयन किया गया था। ज्ञातव्य है कि कुशराज के इस आलेख को “विकलांग विमर्श – अस्तित्व का संघर्ष” शीर्षक से प्रकाशित हो रहे शोधग्रंथ में भी शामिल किया गया है।
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के मंच पर अध्यक्ष मण्डल में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भाषा विज्ञानी विकलांग विमर्श के प्रणेता, छत्तीसगढ़ी राज्यभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर विनयकुमार पाठक, व्यंगालोचना के आचार्य डा.सुरेश महेश्वरी, बुंदेलखण्ड झाँसी के संस्कृतिकर्मी व आलोचक डॉ० रामशंकर भारती, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रभूषण वाजपेयी, गुरु घासीराम केन्द्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी अधिकारी डॉ०अखिलेश कुमार तिवारी, शिक्षाविद् डॉ० अनिता सिंह, प्रो. चंद्रशेखर सिंह एवं लेखिका डॉ० अनिता ठाकुर कोलकाता मंचासीन रहीं। बिलासपुर के साहित्यकार डॉ० ए०के० यदु ने संगोष्ठी का संचालन किया।
संगोष्ठी में साहित्यचेता डॉ० विवेक तिवारी, संयोजक दीनदयाल यादव, डॉ०आस्था दीवान, डॉ० मंजूश्री वेंदुला, डॉ० आभा गुप्ता सहित अनेक महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से पधारे शोधकर्ता और विद्वान उपस्थित रहे। समारोह के अंत में परिषद के महामंत्री मदनमोहन अग्रवाल ने आभार प्रकट किया।













