झांसी। आल इंडिया गार्ड कॉउन्सिल (AIGC) के केन्द्रीय नेतृत्व के आहवान पर लाइन बॉक्स हटाकर ट्रॉली बैग देने के साथ बॉक्स पोर्टर की सुविधा बंद करने के रेलवे बोर्ड के निर्णय के खिलाफ झांसी मण्डल की सभी लाबियों (झांसी, ग्वालियर, बांदा) के सम्मुख एक दिवसीय धरना दिया गया। मण्डल के सभी शाखाओं के ट्रेन मैनेजर ने इस धरने में हिस्सा लिया।

रेलवे बोर्ड के लाइन बॉक्स (इल बॉक्स) हटाने के निर्णय का विरोध करते हुये बौक्स हटाने से AIGC ना केवल ट्रेन बल्कि यात्री व ट्रेन की सुरक्षा साथ ही बॉक्स पोर्टर ने वताया कि लाइन मैनेजरों को परेशानी होगी व सरंक्षा भी प्रभावित होगी, के रूप मे कार्यरत हजारों कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है, क्योंकि लाइन बाक्स परिवहन के कार्य में भारतीय पोर्टर इस कार्य में कार्यरत हैं। ट्रेन मैनेजर से संबंधित सामानों का बैग सहित कुल वजन लगभग 20 किलोग्राम के आस-पास होता है। साथ ही चूंकि ट्रेन मैनेजर हमेशा रनिंग में रहते है। इस बजन से उन्हें अलग अलग स्थानों पर रुकना पड़ता है जिसके कारण उन्हे अपने लिए प्रतिदिन काम आने बाले सामान जिसमे खुद के कपड़े, खाने का सामान रखना पड़ता है, जिसका बजन भी लगभग 15 से 20 किग्रा होता है इसी प्रकार सभी को दो बैग रखने की आवश्यकता होती है। अगर मानवीय दृष्टिकोण से देखें तो यह उचित नहीं है कि एक व्यक्ति के ऊपर 35 से 40 किलो ग्राम के दो बैग का बजन डाल दिया जाये।

उन्होने कहा कि ट्रेन मैनेजर आधुनिकीकरण के खिलाफ नहीं हैं पर लाइन – बॉक्स (टूलबॉक्स) जो गाडी की संरक्षा, यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है वह हमारे कार्यस्थल ब्रेकवान में उपलब्ध करायें जाये इस हेतु या तो कौमन लाइन वॉक्स या ब्रेकवान में ही फिल्स बाँस में टूल्स रखे जायें। साथ ही जो निधी सामान में डेटोनेटर है वह भी हमें अपने साथ लेकर आना जाना पड़ेगा जो कानून की दृष्टि से गलत होगा क्योकि डेटोनेटर अत्यन्त ही विस्फोटक होता है। डेटोनेटर पोटेशियम क्लोरेट, सलपुर रेत, बाइंडर भऔर न्यूट्र‌लाइजर से बने होते है। पोटेशियम क्लोरेट एक शक्तिशाली ऑक्सीकरण ऐजेण्ट हैं, सल्फर के साथ मिश्रित होने पर यह खतरनाक हो जाता है और तब और भी खतरनाक हो जाता है जब टेबल शुगर के साथ निकाया जाता है जो तत्काल आग / विस्फोट पैदा करने में सक्षम होता है। प्रत्येक डेटोनेटर में लगभग 8 ग्राम होते है इस प्रकार के रासायनिक संयोजक के ऐसे घटकों के 80 ग्राम के साथ डेटोनेटर से एक गोला बनाने के लिये पर्याप्त है यदि यह गैर- कानू‌नी समू‌हों के हाथों में पड़ता है तो या रेलवे परिसर में पड़ी आपदा खड़ी हो सकती है क्योंकि इस डेटोनेटर के साथ कभी-कभी कार्य के दौरान पैसेंजर के रूप में ट्रेन में यात्रा भी करनी पड़ती है। पूर्व में AIGC के केन्द्रीय नेतृत्व में इस निर्णय, इससे होने वाली परेशानियों व इसका समाधान से रेलवे वोर्ड, रेल प्रशासन को अवगत कराया, परन्तु रेल प्रशासन में एक तरफ निर्णय लेते हुये लाइन बाक्स के वर्तमान प्रणाली को बंद करने का निर्णय लिया। जिसके खिलाफ AIGC ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने रेलवे बोर्ड को चार सप्ताह का समय AIGC द्वारा उठाये गये प्रश्न और उनका समाधान के लिये दिया है। मामला अभी न्यायालय में विचारधीन है। इस बीच लाइन बौक्स हटाने का निर्णय न्यायालय की अवमानना है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुये जो वर्तमान पद्धति  है उसे जारी रखने या काउंसिंल के सुझाओं पर अमल कर वर्तमान व्यवस्था में आंशिक परिवर्तन कर ब्रेकवान में फिक्स टूल वॉक्स रखने की आवाश्यकता है।

धरने की अध्यक्षता – मण्डल सचिव अमर गुप्ता एवं मण्डल अध्यक्ष – एच.सी. साहू ने की। अंत में शाखा सचिव- महाराज सिंह मीना व शाखा अध्यक्ष- विजय नामदेव ने आभार व्यक्त किया । इस दौरान भारी संख्या में उस धरने में आये हुये ट्रेन मैनेजरों ने लाइन बॉक्स बंद करने का पुरजोर विरोध किया।