– व्यवस्था की लापरवाही के चलते नवजात की मौत पर पिता बिलखता रहा
झांसी। नवजात बच्ची की जिंदगी बचाने के लिए पिता उसे गोद में लेकर करीब 5 घंटे मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल भागा, किंतु उसे इलाज नहीं मिल पाया और एम्बुलेंस में ही सांसों ने साथ छोड़ दिया। व्यवस्था की लापरवाही के चलते नवजात की मौत पर पिता बिलखता रहा। सवाल है कि इस मौत का कौन होगा जिम्मेदार, क्या भविष्य में ऐसी ही मौत होती रहेंगी?
ललितपुर जिले के मड़वरा थानान्तर्गत ग्राम तलुवा निवासी 26 वर्षीय सोनू परिहार की 2018 में राजाबेटी से शादी हुई थी, किंतु बच्चे नहीं हो रहे थे। लम्बे समय के बाद पहली बार उसकी पत्नी गर्भवती हुई थी। विगत दिवस पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई। इस पर वह उसे लेकर मड़ावरा सामुदायिक अस्पताल ले गया, जहां से उसे ललितपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। ललितपुर से उसे झांसी मेडिकल कालेज रेफर किया गया।
झांसी मेडिकल कालेज में उसकी पत्नी ने ऑपरेशन से शनिवार सुबह 7 बजे जन्म एक बच्ची को दिया। जन्म लेने के बाद बच्ची को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। हालत देखकर डॉक्टर ने यह कहते हुए उसे झांसी जिला अस्पताल भेज दिया कि यहां पर व्यवस्थाएं नहीं हैं। इस पर वह अपनी बच्ची को लेकर प्राइवेट एम्बुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचा, किंतु दुर्भाग्य वहां से भी वेंटिलेटर न होने की बात कहकर भगा दिया।
सोनू परिहार का कहना कि सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक बच्ची की जिंदगी के लिए इधर से उधर भटकता रहा है और अंत में उसकी बच्ची ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया। इस पर वह विलखने लगा क्योंकि यह उसकी पहली बच्ची थी। इलाज नहीं मिल पाने से हुई नवजात की मौत ने व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि पिछले वर्ष नवंबर में हुए अग्निकांड में एनआईसीयू वार्ड जल गया था और अभी तक वह बन कर तैयार नहीं हुआ है, काम चल रहा है। इस कारण बच्ची को मेडिकल कॉलेज में इलाज नहीं मिला और उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। जिला अस्पताल में भी उसे वेंटिलेटर नहीं होना बता कर चलता कर दिया और इलाज के इंतजार में बच्ची की सांसें साथ छोड़ गयीं।











