झांसी। ग्वालियर रोड सिविल लाइन स्थिति कुंजबिहारी मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज ने भीष्म पितामह और कुंती चरित्र का विस्तार से वर्णन किया।उन्होंने कहा कि भगवान से जब भी कुछ मांगने का मौका मिले तो संसार की क्षणिक यशो आराम की वस्तुयें न मांगकर स्वयं भगवान को अर्थात उनकी भक्ति को मांगना चाहिए। माता कुंती भगवान कृष्ण से कहती है कि सुख से अच्छा तो दुख ही ठीक है क्योंकि दुख में उन्हें भगवान का स्मरण होता रहता है किंतु सुख में हम भगवान को भूल कर अपने में ही सांसारिक माता में खोये रहते हैं। “दुख में सुमिरण सब करें सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरण करे तो दुख काहे को होय”।

नारद जी के पूर्व जन्म की कथा एवं कर्दम ऋषि देहुति के विवाह संस्कार का वर्णन करते हुए उन्होंने भगवान कपिल मुनि के अवतार की कथा कही। वे कहते हैं कि जब प्राणी परमात्मा के प्रति समर्पण का भाव बना लेता है तो फिर उसके भीतर का अहंकार खत्म हो जाता है और उसे प्रभु की कृपा प्राप्त होने लगती है।

प्रारम्भ में यज्ञाचार्य रामलखन उपाध्याय ने श्री गणेश पूजन, कलश पूजन,व्यास पीठ पूजन एवं पुराण पूजन कराया। तदुपरांत मुख्य यजमान श्रीमती शारदा श्यामदास गंधी ने महाराजश्री का माल्यार्पण कर श्रीमद भागवत पुराण की आरती उतारी।अंत में व्यवस्थापक परमानंद दास ने आभार व्यक्त किया।