Oplus_16908288

बेटी ने कहा – बचपन में बुआ ने मम्मी को मार कर भगा दिया था और हमें बताया कि तुम्हारी मां मर गई 

झांसी। लगभग 30 वर्ष पहले बुआ ने मृत भाई के मकान व जमीन को हड़पने के लिए जो किया उसने ऐसी फिल्मी कहानी का आकार ले लिया जिसने भावुक कर दिया। इसमें कैकेई बनी बुआ ने अपने मृत भाई की विधवा को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया और उसकी दो बेटियों को भी यह कह कर दर दर की ठोकरें खाने के लिए निकाल दिया की उनकी मां मर गई। वह तो झांसी के प्राचीन पचकुइयां मंदिर के पुजारी का भला हो कि उनकी संवेदनशीलता ने 30 वर्ष बाद बेटी को बिछुड़ी मां से मिलाया तो, किंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बेटी को मां जिंदा नहीं मृत अवस्था में मिली तो फफक पड़ी।

दरअसल, झांसी में कोतवाली थाना क्षेत्र के पंचकुइयां मंदिर पर लगभग 25 वर्ष से आश्रय लिए 79 साल की महिला रामबाई फूल-मालाएं बेच कर मंदिर के पुजारी और श्रद्धालुओं की मदद से जीवन गुजार रही थीं। मंदिर के पुजारी हरिशंकर चतुर्वेदी ने बताया कि सोमवार को रामबाई की छाती में दर्द से तबियत अचानक बिगड़ गई थी। पुजारी हरीशंकर चतुर्वेदी ने उन्हें एम्बुलेंस बुलाकर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां मंगलवार सुबह उनकी मौत हो गई। इसके बाद पुजारी ने मृतका की बेटी को ढूंढ निकाला। इसके बाद मध्य प्रदेश के सालवई में रहने वाली उनकी बेटी मीरा अपनी मां का शव लेने झांसी पहुंच गईं। यहां मंदिर के पुजारी ने उनके अंतिम संस्कार के लिए भी मदद दी।

रामबाई की बेटी मीरा ने मीडिया को बताया कि जब वह 5 साल की थीं तभी पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद हमारी बुआ हमारे साथ करेरा के गांव मोती में हमारे घर में रहने लगी थीं। वह मां रामबाई के साथ मारपीट करती थीं। मीरा ने बताया कि एक दिन घर में मां नजर नहीं आईं तो उन्होंने बुआ से पूछा कि मां कहां है इस पर उन्होंने कहा कि जैसे तुम्हारे पापा मर गए हैं, वैसे ही तुम्हारी मां भी भगवान के पास चली गई है। मीरा बोलीं, कि हमें ये भी नहीं पता था कि भगवान के पास चले जाने का क्या मतलब होता है। बुआ ने बताया तो हमने मान लिया कि मां मर चुकी है। मीरा ने बताया कि उनकी बड़ी बहन और उन्हें बुआ ने मां की मौत के बाद घर से निकाल दिया था। इसके बाद वह करेरा में ही एक बनिया के घर काम करने लगीं। बताया कि जिस घर में बुआ हमारे साथ रहती थीं, उसके बारे में बाद में पता चला कि वह हमारा था। लेकिन बुआ के डर से वहां जाने की हिम्मत नहीं हुई।

मीरा ने बताया कि उनकी और बड़ी बहन की शादी उन्हीं व्यापारी ने की थी, जिनके घर हम काम करते थे। बोलीं, बुआ ने कभी नहीं बताया कि तुम्हारी मां जीवित हैं। शादी के समय वह आई भी थीं, तब भी उन्होंने यही कहा कि तुम जब बहुत छोटी थीं, उसी समय तुम्हारी मां की मौत हो चुकी है।

रामबाई के बताए पते से बेटियों तक पहुंचे पुजारी

पंचकुइयां मंदिर के पुजारी हरिशंकर चतुर्वेदी ने बताया कि वह नहीं जानते थे कि बुजुर्ग रामबाई का परिवार भी है। एक दिन उन्होंने ही ये बताया था कि करेरा के मोती गांव में उनका घर है और बेटियां भी हैं। लेकिन अब उनकी शादी हो चुकी होगी। ऐसे में अब जाने का क्या फायदा। किसी पर बोझ नहीं बनाना चाहती। पुजारी ने बताया कि उन्हें गांव का नाम याद था। जब रामबाई की मौत हुई तो उन्होंने उनके गांव में पता कर बेटी का फोन नंबर हासिल किया और जानकारी दी।

रामबाई की छोटी बेटी मीरा अपनी मां का शव लेने झांसी मेडिकल कॉलेज के पोस्टमॉर्टम घर पहुंची तो मां का चेहरा देखकर फूटफूट कर रोने लगी। मीरा का कहना था कि 30 साल से हमें कहा गया कि तुम्हारी मां मर चुकी है। लेकिन वह जीवित थीं। अब जब वह मिली भी हैं तो इस लायक नहीं की बात भी कर सकें।