• ओपिनियन के लिए किसी बड़े हॉस्पिटल नहीं भेजने पर प्रश्न चिन्ह लगा
    झांसी। मण्डल रेलवे अस्पताल में किस तरह से अच्छे-खासे कर्मचारियों को डीकेटराइज (मेडिकल अनफिट) करने का ऐसा खेल खेला जा रहा है कि लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हैं। हाल ही में एक लोको पायलट को सिर्फ इसलिए डीकेटराइज कर दिया गया कि उसको पैर में चोट लग गई थी। इसको लेकर रनिंग स्टाफ व सीनियर डीओपी कार्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म है। विभागीय अफसरों का कहना है कि जो चोट ठीक हो सकती है उसे लेकर किस नियम के तहत अनफिट किया गया है। इस मामले से रनिंग स्टाफ में कोतूहल मिश्रित खुशी की लहर है कि अब यदि उनको दुर्भाग्यवश किसी प्रकार की हड्डी में चोट आ गई तो वह अपनी पोस्ट से अनफि ट हो सकते हैं।
    दरअसल, कुछ दिन पूर्व मण्डलीय रेलवे अस्पताल के कतिपय चिकित्सकों की कृपा से एक लोको पायलट को सिर्फ इसलिए डीकेटराइज कर दिया गया कि उसको पैर में चोट लग गई थी। इस मामले से सभी हतप्रभ रह गए क्योंकि कई ऐसे गम्भीर किस्म के रोग से ग्रसित कर्मचारियों को वापस काम पर भेज दिया जाता है जो वाकई में अनफिट होने के योग्य थे। लेकिन इस चोट को आधार बनाकर अनफिट करने का शायद यह पहला अवसर है। पैर में चोट लगने से डीकेटराइज मामले से सीनियर डीओपी कार्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया क्योंकि विभाग के अधिकारियों को पता चला कि जिसे डीकेटराइज किया गया है उसके बारे में झांसी के अलावा ओपिनियन के लिए किसी बड़े हॉस्पिटल भेजा ही नहीं गया। जानकारों का कहना था कि शायद यह पहला अवसर है जब किसी कर्मचारी को बाहर के हॉस्पिटल में ओपिनियन के लिए बिना भेजे ही स्थानीय स्तर पर ही अनफिट कर दिया गया हो।
    उक्त प्रकरण में विभागीय जानकारों का कहना है कि यदि अस्पताल प्रशासन चाहता तो नियमानुसार उस लोको पायलट को पहले लाइट जॉब पर भेजा जा सकता था। इस मामले में नियमों को दरकिनार कर लोको पायलट को सीधे अनफि ट कर दिए जाने से सत्यनिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
    हालांकि उक्त प्रकरण लोको पायलट के लिए नई उम्मीद लेकर आया है क्योंकि बीते दिनों की तरह ऐसे कर्मचारियों को फिट नहीं किया जा सकेगा जो वास्तव में अनफिट लायक हैं। बीते वर्षों में कई ऐसे मामले विभाग के सामने आए जब आठ से दस माह तक कर्मचारियों को सिक में रहकर वापस उसी कैडर में फिट घोषित कर दिया गया था। इससे जहां इतने लंबे समय तक कर्मचारियों की विभाग को सेवाएं नहीं मिल सकीं वहीं कर्मचारियों को भी वेतन भत्ते आदि का जमकर नुकसान उठाना पड़ा। फिलहाल उक्त मामला इस कार्यालय में जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है। दबी जबान से कार्यालय के जिम्मेदार लोग इस मामले में बड़ा लेनदेन की और इशारा कर रहे हैं। मामले की जांच कर कार्यवाही की मांग की जा रही है।