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विदेश से सरगना “रोलेक्स” कर रहा नेटवर्क कंट्रोल 

झांसी। इंटरनेशनल सट्टा ऐप महादेव के चार गुर्गों को झांसी पुलिस ने गिरफ्तार कर उनके पास से अवैध कारोबार में प्रयुक्त लैपटॉप समेत कई भारी संख्या में मोबाइल फोन भी मिले हैं। दुबई से संचालित हो रहे इंटरनेशनल सट्टा ऐप महादेव की झांसी में फ्रेंचाइजी की तरह चल रहे सट्टा नेटवर्क में बुकी वॉट्सऐप ग्रुप का इस्तेमाल कर रहे थे।

एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि स्वाट और कोतवाली पुलिस को सूचना मिली थी कि कोतवाली थाना क्षेत्र के पशुपति कॉलोनी के मकान नंबर B/25 में महादेव ऐप और वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए सट्टे की लाइव बुकिंग की जा रही है। इस पर टीम ने योजनाबद्ध तरीके से मकान में छापा मारा। इस कार्यवाही में पुलिस टीम ने सुदीप यादव निवासी मोठ झांसी, मनोज केवट निवासी बिजौली थाना प्रेमननगर झांसी, शिवम यादव निवासी दतिया गेट बाहर थाना कोतवाली झांसी और नितिन सिंह यादव मोठ झांसी को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस को मौके से कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट मिले हैं। इनमें एक लैपटॉप, 20 स्मार्ट मोबाइल फोन, 24 एटीएम कार्ड, 7 बैंक पासबुक, 6 चेकबुक, 1 वाईफाई राउटर, 1 एडेप्टर, लेनदेन के हिसाब के 2 रजिस्टर और 1 डायरी, 35,500 रुपए व 2 बाइक मिले हैं। चारों आरोपी दुबई से चल रहे महादेव सट्टा ऐप की फ्रेंचाइजी की तरह काम कर रहे थे और पूरे जिले में अपना नेटवर्क बना लिया था। अब पुलिस उनके नेटवर्क को तलाशने में जुटी है।

एसपी सिटी ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि ऐप को ऑपरेट करने वाला निशांत यादव उर्फ रोलेक्स विदेश में रहकर ऐप को कंट्रोल कर रहा है। झांसी में उसके मिनी एडमिन के रूप में गुजेंद्र यादव उर्फ दाऊ निवासी बिजौली थाना प्रेमननगर झांसी, नीरज वर्मा निवासी नरिया बाजार थाना शहर कोतवाली झांसी, मोहित सोनी उर्फ चमन निवासी दीक्षित बाग थाना शहर कोतवाली झांसी समेत कई गुर्गे काम कर रहे हैं, जो सट्टे का नेटवर्क फैलाने के लिए अन्य को भी जोड़े हुए हैं। यही लोग सट्टा खेलने वालों को आईडी-पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं।

महादेव ऐप को विदेश से कंट्रोल कर रहे निशांत यादव उर्फ रोलेक्स में झांसी और आसपास के इलाकों में अपने मिनी एडमिन का पूरा नेटवर्क बनाया हुआ है। ये मिनी एडमिन पहले वाट्सएप ग्रुप बनाते हैं, फिर सट्टा खेलने वालों से कॉन्टेक्ट कर उन्हें ग्रुप में जोड़ लेते हैं। इसके बाद इन्हीं ग्रुप में सट्टा लगाने की जानकारी अपडेट करते रहते हैं।

जब कोई पहली बार इन सट्टा माफियाओं से वाट्सएप ग्रुप पर जुड़ता है तो उन्हें विश्वास में लेने के लिए, पहले सट्टे में पैसा जीतने वालों के हवाले कर दिया जाता है जो ग्रुप पर अपने सट्टे के ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉर्ट नए शिकार को फंसाने के लिए ग्रुप पर शेयर करते हैं। इसके बाद उन्हें QR कॉर्ड देकर ऐप पर जीतने वालों के हवाले कर दिया जाता है, जो ग्रुप पर अपने सट्टे के ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉर्ट नए शिकार को फंसाने के लिए ग्रुप पर शेयर करते हैं। इसके बाद उन्हें QR कॉर्ड देकर ऐप पर लॉगइन के लिए आईडी और पासवर्ड मिनी एडमिन और बुकी उपलब्ध करा देते हैं। ग्रुप पर ही पैसे का लेनदेन होता है।