• दिन भर चले मनामनौब्बल के प्रयास रहे विफल, प्रशासन बैकफुट पर
  • पुलिस ने की सख्ती, लाश को गांव से हटाया
    झांसी। जनपद पुलिस के लिए पुष्पेन्द्र यादव का कथित एनकाउंटर गले की फांस बन गया है। परिजनों व ग्रामीणों के आक्रोश के चलते पोस्टमार्टम के 24 घंटे बाद भी के बाद मृतक पुष्पेन्द्र यादव का अंतिम संस्कार नहीं हो सका। दिन भर जिलाधिकारी व एसएसपी सहित अन्य अधिकारियों के समझाने का कोई असर नहीं हुआ। एडीजी से हुई परिजनों की वार्ता विफल रही, आश्वासन काम नहीं आए। परिजन शव को लेने से इंकार करते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज करने पर अड़े हैं। उनका कहना है कि लाश सड़ती है तो सडऩे दो, एफ आईआर चाहिए। इधर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के आठ अक्टूबर व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नौ अक्टूबर को मृतक के गांव करगुवां खुर्द पहुंचने के कार्यक्रम से प्रशासन के हाथ-पैर फूले हैं। किसी प्रकार दोनों नेताओं के पहुंचने के पूर्व लाश का अंतिम संस्कार कराने के भागीरथी प्रयास में जुटे अफसरों द्वारा देर सायं विरोध करने वालों पर सख्ती की, किन्तु जब सफलता नहीं मिली तब पुलिस ने शव को गांव से हटा लिया। सूत्रों का कहना है कि लाश को झांसी लाया जा रहा है ताकि सुरक्षित रखा जा सके।
    गौरतलब है कि जनपद के थाना मोंठ प्रभारी से हुए कथित विवाद में फायर कर कार को लूट प्रकरण में वांछित आरोपी पुष्पेन्द्र यादव निवासी करगुवां खुर्द की शनिवार की तड़के कथित एनकाउंटर में मौत से ऐसा बवाल खड़ा हुआ कि पुलिस व प्रशासन बैकफुट पर आ गया क्योंकि परिजनों ने एनकाउण्टर को फर्जी करार देते हुए हत्या का आरोप लगा कर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग शुरू कर दी।
    हंगामे के बीच घटना के लगभग दस घण्टे बाद तो शव को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच देर सायं बमुश्किल मेडिकल कालेज में पोस्टमार्टम हो सका और लाश को उसके गांव तो भेज दिया गया, किन्तु लगभग 24 घंटे बीतने के बाद भी परिजन अंतिम संस्कार को तैयार नहीं हो सके जबकि जिलाधिकारी व एसएसपी दिन भर अधिकारियों के लाव-लश्कर के साथ डेरा डाल कर आक्रोशित ग्रामीणों व परिजनों की मनामनौब्बल करते रहे, किन्तु बिना एफआईआर के परिजन लाश लेने से भी मुकर गए। मृतक के भाई रविन्द्र यादव ने डीजीपी को बुलाने की मांग की है।
    बहू की हालत से महिलाओं में उपजा आक्रोश
    मृतक पुष्पेन्द्र यादव की पत्नी शिवांगी की रोते-रोते हालत खराब है, वह बार -बार बेसुध होकर न्याय की गुहार लगाती कहती कि पुलिस ने लेनदेन के कारण उसके पति की हत्या कर दी और एनकाउंटर दिखा दिया जबकि उसके पति के खिलाफ किसी थाने में कोई अपराधिक मामला दर्ज नही है। उसका कहना था कि घटना के दिन आठ बजे उसकी पति से फोन पर बात हुई थी। इसके बाद लाश ही आयी। एडीजी ने जब मृतका की पत्नी शिवांगी से भेंट की तो सभी आंखें भर आयीं। शिवांगी ने विलखते हुए कहा कि वह उसे अपनी बेटी बना लें, अब वह किसके सहारे रहेगी। शिवांगी के विलाप से गांव की महिलाओं में आक्रोश रहा और उन्होंने भी पुलिस के खिलाफ धरना दिया।
    कई दौर की वार्ता विफल, एडीजी ने दिया आश्वासन
    करगुवां खुर्द पहुंचे एडीजी कानपुर जोन प्रेम प्रकाश ने भी परिजनों व गांव के सम्भ्रांत लोगों को समझा कर मनाने की कोशिश की, किन्तु पहले दौर की वार्ता विफल रही। हालांकि अफसरों के प्रयास जारी रहे, उनकी कोशिश है कि किसी तरह से रात तक अंतिम संस्कार हो जाए क्यों कि पूरे प्रदेश में इसका गलत संदेश जा रहा है। एडीजी ने आश्वस्त किया कि मुठभेड़ की जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही होगी व साक्ष्य होने पर निलम्बित किया जाए। एडीजी ने मोंठ थाना प्रभारी धमेन्द्र चौहान को हटा कर जिले के बाहर करने, मुठभेड के मुकदमे में मृतक पुष्पेन्द्र की परिजनों की तहरीर जोडऩे व विवेचना को टहरौली थाना प्रभारी को सौंपने के निर्देश दिए।
    शिवपाल आठ व अखिलेश नौ को आएंगे
    इधर, पुष्पेन्द्र काण्ड के विरोध में कांग्रेस व बसपा भी उठ खड़ी हुई और नेताओं ने सीबीआई से जांच की मांग शुरू कर दी है। इसके अलावा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव आठ अक्टूबर एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नौ अक्टूबर को लावलश्कर के साथ मृतक के गांव करगुवां खुर्द पहुंच कर मृतक के परिजनों से मिलने की सूचना ने प्रशासन की परेशानी को बढ़ा दिया है।