झांसी। जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय में इंडियन काऊंसिल आफ हिस्टोरिकल रिसर्च एवं भारतीय इतिहास संकलन समिति द्वारा आयोजित इतिहास की राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में नगर के इतिहासकार डॉ चित्रगुप्त ने बुंदेलखंड में गांधी दर्शन का प्रभाव पर अपना शोध पत्र पढ़ा। संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित डॉ चित्रगुप्त ने बताया कि झांसी के चिरगांव क्षेत्र के ग्राम औपारा में सत्याग्रहियों ने नमक बना कर नमक कानून तोङा था । चिरगांव के क्रांतिकारियों ने चिरगांव व झांसी के बीच रेल की कुछ पटरियां उखाङ दीं थीं। झांसी में गांधी जी की जनसभाओं से जनता में राष्ट्रीय आंदोलन के लिए जोश का संचार हुआ। गांधी जी के अलावा जवाहर लाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, मुहम्मद अली जिन्ना, मदन मोहन मालवीय, सरोजनी नायडू, सीमांत गांधी जैसे बड़े नेताओं ने झांसी आकर जनसभाऐं की थीं। झांसी में दशहरे के अवसर पर रावण के पुतले के साथ ही विदेशी वस्त्रों का दहन भी किया गया था। झांसी के अलावा महरौनी, ललितपुर, औरछा, टीकमगढ़, सागर, टहरौली, कुलपहाङ आदि जगह भी क्रांतिकारी गतिविधियों संचालित की गयीं थीं। मोंठ के लाला शिवदयाल ने विद्यालय और हरिजन विद्यालय खुलवाने के प्रयास किये। सुभाष चंद्र बोस ने मोठ के सेवरा पहाङ परिसर में जनसभा की और एक भवन की नींव भी रखी थी। समथर के नारायण सिंह परिहार ने सत्याग्रह किया और अपने साथियों के साथ जवाहर लाल नेहरू से मिलने इलाहाबाद गये। संगोष्ठी में उपस्थित देश के गणमान्य इतिहासकारों ने डॉ चित्रगुप्त के शोध पत्र की सराहना की।