खरीद फाइल पर हस्ताक्षर करने से कतरा रहे अफसर

झाँसी। कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी झांसी नगर निगम में फागिंग मशीन के नाम पर चल रहे खेल के उजागर होने से चर्चा का बाजार गर्म हो गया है और निगम के कतिपय अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं। झाँसी नगर निगम अपनी किसी न किसी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा चर्चाओ में बना रहता है चाहे स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर घर जाकर लोगों को जागरूक करने या निगम की खाली पड़ी करोड़ों की बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जा, तिरंगा लाइट, मार्ग प्रकाश आदि कयी मामले हैं। इन मुद्दों को पिछले माह हुई नगर निगम में कार्यकरिणी की बैठक में जबरदस्त तरीके से उठाया गया। इसमें फॉगिंग मशीन खरीद में हुए खेल का मामला भी जुड़ गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन के दौरान नगर निगम ने जैम पोर्टल के  जरिये 60 पल्स फॉगिंग मशीनों की खरीद की थी। जिसमें से 37 मशीनों को महानगर  में फॉगिंग के लिए प्रयोग किया गया। फॉगिंग का क्रम यह था कि 30 मशीनें एक  दिन छोड़कर वार्ड में जाती थीं। जो दो दिन में 60 वार्ड कवर करती थीं। जबकि  सात मशीनें सरकारी भवनों या अन्य शिकायतों पर भेजी जाती थीं। वहीं 23  मशीनों का खरीद के बाद उपयोग नहीं किया गया और वह नई रखी रहीं। अब जब भुगतान की बारी आई, तो अनुपयुक्त नई रखी रहीं  मशीनों को वापस नहीं कर भुगतान करने के प्रयास करने को लेकर सवाल उठने लगे। हालात यह हैं कि एक ओर नगर निगम  खर्च में कटौती की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर नई मशीनों को वापस करने के स्थान पर भुगतान की कवायद चर्चा में आ गई क्र्यों कि एक मशीन की कीमत करीब 75 हजार रुपये है। ऐसे में करीब 45  लाख रुपये का भुगतान किया जाना है, लेकिन निगम के कतिपय अफसर मशीनों को वापस नहीं करने के मूड में हैं वहीं। चर्चाओं को देखते हुए खरीद की प्रक्रिया के लिए गठित कमेटी के अफसर हस्ताक्षर नहीं कर फाइल को घुमाना शुरू कर दिया है। उन्हें इस मामले में कार्रवाई होने की आशंका है। वहीं ठेकेदार द्वारा निरंतर अपने पेमेंट की मांग की जा रही है।

मशीन/वाहन खरीद के लिए बनाई गई थी जांच समिति

नगर निगम द्वारा एक जांच समिति का गठन मशीन वाहन इत्यादि खरीदने के लिए नगर आयुक्त द्वारा 02 अप्रैल 2020 को किया गया था जिसमें अपर नगर आयुक्त शादाब असलम, मुख्य अभियंता एल एन सिंह, मुख्य नगर लेखा परीक्षक अशोक यादव, नगर स्वास्थ्य अधिकारी विनीत सिंह, लेखाधिकारी राजकिशोर, अवर अभियंता राम अवध यादव को नामित किया गया था अब जब ठेकेदार को पेमेंट करने की बात आ रही तो जिम्मेदार अधिकारी अपने आप को बचाते हुए कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।