– कोरोना के कारण नहीं मिल सका था उपचार, अब वापस आयी आंखो की रोशनी
झांसी। जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित ढ़ाई साल की मिष्ठी का मेडिकल कॉलेज झाँसी में सफ़ल ऑपरेशन किया गया। मिष्ठी के पिता ठाकुरदास पेशे से मजदूर है और रानापुर गाँव, गुरसराय के निवासी है।

बताते है कि जब मिष्ठी पैदा हुयी तब उनको और उनके परिवार को एहसास तक नहीं था कि मिष्ठी की आँखों में दिक्कत है। 2-3 महीने के बाद जब गाँव में किसी ने चेताया कि मिष्ठी की नजर में दिक्कत है, शायद यह ढंग से देख नहीं पा रही है। जांच के लिए जब झाँसी आए तो प्राइवेट अस्पताल में पुष्टि हो गयी कि मिष्ठी की आँखों में मोतियाबिंद है और ऑपरेशन की जरूरत है। आर्थिक हालत सही न होने के कारण कुछ समय बाद मेडिकल कॉलेज में मिष्ठी की एक आँख का उपचार आरबीएसके के अंतर्गत 3 माह पहले किया गया वहीं 26- 27 अक्टूबर को आयोजित शिविर में दूसरी आँख का भी ऑपरेशन हो गया है। ठाकुरदास की एक और बेटी है जो पूरी तरह स्वस्थ्य है, उन्हें खुशी है कि उनकी पहली संतान मिष्ठी भी अब सामान्य जीवन जी सकेगी।
ऐसे ही 10 वर्षीय रितिक भी जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित थे। उनकी दूसरी आँख का ऑपरेशन शिविर में किया गया, रितिक की एक आँख का ऑपरेशन 3 साल पहले ही हो चुका था, लेकिन कोविड के चलते दूसरी आँख का ऑपरेशन में देरी हो गयी। हालांकि रितिक के पिता कमलेश का कहना है कि रितिक को कोई समस्या नहीं है।
आपको बता दे कि जन्म से ही मोतियाबिंद की समस्या से जूझ रहे बच्चों के उपचार लिए 26-27 अक्टूबर को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत जांच शिविर का आयोजन किया गया था, शिविर में 25 बच्चे जांच के लिए आए थे। आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर डॉ॰ राम बाबू ने बताया 25 बच्चों में 9 बच्चों को ऑपरेशन के लिए चिन्हित कर उनका ऑपरेशन कर दिया गया है, वहीं 2 बच्चों को उच्चतर संस्थान में जांच के लिए रिफर किया गया है।
ऑपरेशन के बाद संयुक्त निदेशक डॉ॰ विनोद कुमार यादव ने सभी बच्चों और उनके परिवार से मुलाक़ात की, खुद नेत्र सर्जन होने के नाते ऑपरेशन के बाद रखने वाली सावधानियों के प्रति परिवार को जानकारी दी।
मेडिकल कॉलेज, नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ॰ जितेंद्र कुमार ने बताया कि बच्चों में मोतियाबिंद दो तरीके से हो होता है, एक गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार का संक्रमण होने से बच्चे में कई प्रकार के विकार की संभावना बढ़ जाती है, उसमें एक मोतियाबिन्द भी है। वहीं दूसरी ओर सिर या आँख में किसी प्रकार की चोट लगने से भी मोतियाबिंद हो सकता है। ऐसी स्थिति में जितना जल्दी हो सके जांच कराकर उपचार करा लेना चाहिए, नहीं तो बच्चे की आँखों की रोशनी कम/ख़त्म या आँख में तिरछापन आने की संभावना बढ़ जाती है।