भोपाल मप्र (संवाद सूत्र)। कहावत है कि ईश्वर जब किसी को बचाने का ठान लेता है तो रास्ते अपने आप बनते हैं। यह भोपाल स्टेशन पर चरितार्थ हो गई। दरअसल, रोमेश चौबे पैसेंजर ट्रेन मैनेजर भोपाल 22 मई को लगभग 4 बजे अपनी गाड़ी 18234 से वापस आकर साइन ऑफ करने प्लेटफार्म एक से होकर गार्ड लॉबी जा रहा था तभी प्लेटफार्म एक पर गाड़ी क्रमांक 22692 राजधानी खड़ी थी। उन्हें दूर से एक बुजुर्ग यात्री एकदम लड़खड़ाकर गिर पड़ते दिखाई दिया। प्लेटफार्म पर उनके साथ एक बुजुर्ग माताजी थी। यह देख कर वह दौड़ लगाकर वृद्ध दम्पत्ति के पास पहुंच गए तभी एक यात्री भी वहां आ गया जो किस्मत से इंदौर के सुप्रसिद्ध डॉक्टर हरीश शुक्ला निकले जो my हॉस्पिटल के थे।  उन्होंने वृद्ध की पल्स देखी तो काफी कम थी। वह पसीने पसीने थे, सीने में दर्द बता रहे थे। dr शुक्ला बोले इन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ेगा। चूंकि dr साहब के पास उस समय कोई मेडिसिन नहीं थी तो रोमेश चौबे ने उनसे कहा कि क्या सोरबिट्रेट इनको दें। इस पर उन्होंने कहा वही चाहिए।

ट्रेन मैनेजर चौबे ने तुरंत अपने पर्सनल मेडिकल किट से सोरबिट्रेट निकाल कर उस वृद्ध की जीभ के नीचे रखी। 10 मिनट बाद वह काफी ठीक महसूस करने लगे तब तक सूचना लगने पर उप स्टेशन प्रबंधक उमेश शर्मा, सिग्नल के शैलेश रिछारिया, टिकट चेकिंग से अनिल शर्मा व आरपीएफ स्टाफ भी आ गया। वृद्धा से पूछने पर उन्होंने वृद्ध का नाम माणिकचंद सोनी बताया जो कोच ए 4 मैं 7, 9 बर्थ पर थे। बाद मैं उनकी पुत्री, दामाद आ गए। इसके बाद सभी व्हील चेयर पर उनको बाहर लाकर अस्पताल भेज दिए। वृद्ध दम्पत्ति ने बार बार सभी को आशीर्वाद दिया।