हिन्दी साहित्य भारती की अन्तरराष्ट्रीय केन्द्रीय कार्यकारिणी में देश विदेश के विद्वान रहे उपस्थित

साहित्यिक सेवाओं व उपलब्धियों के लिए तीन विद्वत जन सम्मानित 

झांसी। होटल द मारवलस में हिन्दी साहित्य भारती की अन्तरराष्ट्रीय केन्द्रीय कार्यकारिणी में हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्रदान करने हेतु सभी कार्यकारिणी ने एक स्वर से मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया। संस्था के पदाधिकारियों ने प्रतिज्ञा ली कि हिन्दी भाषा को उसका दर्जा दिलाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करते रहेंगे।

मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत सरकार के मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हिन्दी साहित्य भारती ने हिन्दी भाषा के लिए सराहनीय प्रयास किया है। हिन्दी की विभूतियों को एक मंच पर लाने का काम हुआ है और यह क्रम लगातार चलते रहना चाहिए। डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने एक अलख जगा दी है जो रुकने वाली नहीं है। कभी कभी हम हीनता की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। जो हिन्दी जानेगा धीरे धीरे संस्कृत जानेगा। जो बीड़ा आपने उठाया है यह रुकने वाला नहीं है। हिन्दी साहित्य भारती विद्वानों का संगठन है वह दिन दूर नहीं कि जब हिन्दी एक दिन गंगा की तरह विश्व में धारा बनकर बहेगी।
डॉ रविंद्र शुक्ल पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश एवं केंद्रीय अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदी साहित भारती जी के द्वारा मुख्य अतिथि से अनुरोध किया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हम सभी ने दृढ़ संकल्प ले लिया है और इसके लिए राष्ट्रपति जी के लिए 5000 से भी ज्यादा लोगों ने पत्र साइन करके दिए हैं। हम लोग जल्द ही इन चिट्ठियों को राष्ट्रपति से मिलकर सौंपेंगे और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का संघर्ष निरंतर जारी रहेगा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पदम् श्री विष्णु पंड्या ने अपने राष्ट्रप्रेम की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि जब हम मरेंगे तो माँ गंगा में बहते समय हमारी अस्थियाँ भी भारत माता का जयघोष करेंगी। मंच पर मौजूद रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुशील चतुर्वेदी ने बताया कि देश के तीनों कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिये मानव संसाधन मंत्री को ज्ञापन दिया। इस मौके पर हिन्दी साहित्य भारती मॉरीशस के अध्यक्ष डॉ. हेमराज सुन्दर, हिन्दी साहित्य भारती संयुक्त अरब अमीरात के अध्यक्ष इं. भूपेन्द्र कुमार और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल डॉ. शेखर दत्त उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य भारती के केन्द्रीय उपाध्यक्ष डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ. नरेश मिश्र और डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय को उनकी साहित्यिक सेवाओं व उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। अध्यक्षता उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री और हिन्दी साहित्य भारती के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने की। संचालन ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ. कीर्ति काले ने किया।

हिन्दी साहित्य भारती अन्तरराष्ट्रीय की केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से माँग की गई कि संविधान में संशोधन करते हुए हिन्दी को राजभाषा के स्थान पर राष्ट्रभाषा बनाया जाए। संस्था के अन्तरराष्ट्रीय प्रभारी प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय ने यह प्रस्ताव रखा जिस पर कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की। संस्था के पदाधिकारियों ने यह प्रतिज्ञा ली कि वे हिन्दी भाषा को उसका दर्जा दिलाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करते रहेंगे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. चितरंजन कर ने ध्येय गीत प्रस्तुत किया जबकि सरस्वती वंदना कवयित्री डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने प्रस्तुत किया। मंच पर अतिथियों का परिचय हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय मंत्री डॉ. मंजू पाण्डे उदिता ने कराया। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत, जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम, उत्तरप्रदेश संगीत नाटक अकादमी के उपसभापति धन्नूलाल गौतम, भाजपा जिलाध्यक्ष जमुना कुशवाहा, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप सरावगी, समाजसेवी डॉ. नीति शास्त्री, स्किल्ड इंडिया सोसाइटी के डायरेक्टर नीरज सिंह जी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. मुन्ना तिवारी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे। अंत में कार्यालय प्रभारी निशांत रवींद्र शुक्ल ने सभी का धन्यवाद दिया।