महंत मदन मोहन दास द्वारा श्रीमद् भागवत का महात्म का वर्णन 

झांसी। मेंहदी बाग स्थित श्री रामजानकी मंदिर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा का शुभारम्भ शुक्रवार को कलश शोभायात्रा के साथ किया गया। प्रारंभ में मुरली मनोहर मंदिर से श्रीमद् भागवत कथा की शोभायात्रा प्रारंभ हुई, जो बड़ा बाजार होते हुए मालिनी का तिराहा, रघुनाथ जी का मंदिर, सिंधी तिराहा, कोतवाली, पंचकुइयां, खंडेराव गेट, आशिक चौराहा आदि मार्गों का भ्रमण करते हुए श्री रामजानकी मंदिर मेंहदी बाग पहुंची। जहां विधिविधान पूर्वक भागवत कथा का शुभारम्भ किया गया।
कलश शोभायात्रा में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं व भक्तगणों ने भाग लिया। सिर पर कलश लेकर चल महिलाएं शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रहीं थीं। कथा के परीक्षित पुष्पलता गौरी शंकर द्विवेदी भागवत जी को धारण कर चल रहे थे। महंत श्री मदन मोहन दास वृंदावन धाम रथ पर सवार होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए चल रहे थे। श्रीरामजानकारी मंदिर पर पहुंची शोभयात्रा का भव्य स्वागत किया गया। विधिविधान पूर्वक पूजन के पश्चात् महंत श्री मदन मोहन दास वृंदावन धाम के मुखारबिंद से श्रीमद्भावगत कथा का शुभारम्भ किया गया। महाराज जी ने श्री भागवत जी का महात्म कहते हुए कहा महात्मा का अर्थ महिमा अर्थात श्रीमद्भागवत का प्रत्येक लोग श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान है। दूसरे और श्लोक की व्याख्या करते हुए निष्काम भक्त भक्तमाल के घनाराम की कथा सुनाते हुए बताया जो निष्काम भाव से प्रभु की भक्ति करता है भगवान उसके सारे कार्य स्वयं करते हैं। खेत में बिना बीज बोए जब धनाराम ने पूरे खेत लहराते देखें और प्रभु श्री राम को अपनी गायों को विचरण कराते देखा तो रामजी को छूने को व्याकुल हो गया। रामजी ने कहा मुझे नहीं छुओ, पहले गुरु का आश्रय लो, आगे बोलते हुए महाराज जी ने कहा कि लोक संसार में अपना मंगल ढूंढते हैं लेकिन संसार में कहीं मंगल नहीं है मंगल तो सिर्फ रामजी में है क्योंकि मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी अर्थात हमारे संपूर्ण अमंगलों को राम जी ही हर सकते है हनुमान जी ने नाम का सहारा लेकर ही मंगल मूरत मारुति नंदन सकल अमंगल मूल निकंदनम अर्थात नाम का सहारा लेकर हनुमान जी दूसरों का मंगल करने वाले हो गए। इस अवसर पर राष्ट्रभक्त संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष अंचल अडजरिया, अनिल दीक्षित, मानस, अनमोल, अर्पित, धु्रव, शैलेन्द्र, चंचल, अनिल सेंगर, रामकुमार आदि उपस्थित रहे।