न्यायालय ने एसएसपी को भेजा पत्र
झांसी । आदेश के पांच साल बाद भी थाना चिरगांव पुलिस द्वारा अग्रिम विवेचना कर रिपोर्ट न्यायालय में पेश नहीं किए जाने पर विशेष न्यायाधीश (द० प्र०क्षे०) द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित किया गया है।

इस पत्र में बताया गया है कि वादी मधुसूदन शर्मा एड द्वारा २५ अक्टूबर २०१६ को थाना चिरगांव पर उपरोक्त प्रकरण की एफ०आई०आर० पंजीकृत कराई गई थी जिसमें २२ नवम्बर २०१६ को अन्तिम आख्या प्रस्तुत की गई थी,जिसके विरूद्ध वादी द्वारा न्यायालय में प्रोटेस्ट पिटीशन प्रस्तुत की गई। न्यायालय द्वारा १५ मार्च २०१८ को थाना चिरगांव पुलिस को निर्देशित किया गया था कि किसी सक्षम एस०आई० से अग्रिम विवेचना उपरान्त रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जाए। न्यायालय द्वारा यह भी आदेशित किया गया था कि आदेश की प्रति के साथ प्रोटेस्ट पिटीशन की प्रति एस०एस०पी० झांसी व डी०आई०जी० यू०पी० लखनऊ को प्रेषित हो।आदेश को स्कैन करा कर कम्प्यूटर बेबसाइड पर अपलोड करा दिया जाये।

उक्त आदेश के बावजूद भी उपरोक्त प्रकरण में न्यायालय के उपरोक्त आदेश के अनुपालन में अग्रिम विवेचना कर, रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत न किये जाने पर वादी द्वारा
प्रस्तुत प्रार्थनापत्र में इस न्यायालय द्वारा २१ फरवरी २०२३ को यह आदेश पारित करते हुए थाना प्रभारी चिरगांव को आदेशित किया गया कि इस आदेश की तिथि से दो माह में अग्रिम विवेचना सम्पन्न कर न्यायालय को आख्या प्रस्तुत करना सुनिश्चित करे। समुचित कार्यवाही न होने की स्थिति में आपके विरूद्ध यथोचित विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करने के अतिरिक्त न्यायालय के समक्ष अन्य कोई विकल्प नहीं होगा।

न्यायालय के उपरोक्त आदेश २१ फरवरी २०२३ के द्वारा निर्धारित दो माह से अधिक की अवधि व्यतीत होने के बावजूद भी थाना प्रभारी चिरगांव द्वारा उपरोक्त प्रकरण में विवेचना सम्पादित कर न्यायालय में आख्या पेश नहीे की गई । तत्पश्चात वादी द्वारा प्रकीर्ण वाद उचित कानूनी कार्यवाही किये जाने की याचना के साथ प्रस्तुत किया गया जिसमें वादी मधुसूदन शर्मा ने कथन किया है कि आरोपपत्र जो क्षेत्राधिकारी मोठ के यहां भेजे गये थे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी मोंठ द्वारा अभियुक्तगण के कहने पर आरोपपत्र रोक कर न्यायालय नहीं भेजे गये तथा अभियुक्तगण के कहने पर थाना चिरगांव में चल रही विवेचना को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बिना न्यायालय की अनुमति के थाना चिरगांव से विवेचना अपराध शाखा को सौंप दी तथा उपरोक्त प्रकरण में संलग्न आरोपपत्र न्यायालय नही भेजा गया ।इस प्रकार अभियुक्तगण के कहने पर उपरोक्त प्रकरण की विवेचना स्थानान्तरित किया जाना, न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित न किया जाना और न्यायालय के आदेश के बावजूद भी निर्धारित समयावधि व्यतीत हो जाने के पश्चात भी अग्रिम विवेचना पूर्ण कर, आख्या न्यायालय में प्राप्त न कराया जाना यह दर्शित करता है कि न्यायालय को बार-बार धोखा देने का प्रयास किया जा रहा है। अपने स्तर से व्यक्तिगत रूचि लेकर उपरोक्त प्रकरण में विवेचना पूर्ण करवा कर, आख्या न्यायालय में प्राप्त कराया जाना सुनिश्चित किए जाने हेतु पत्र एसएसपी को भेजा गया है। अब देखना यह है कि पांच वर्ष से अधिक समय से उक्त मामले में अभियुक्तों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से थाना चिरगांव पुलिस द्वारा न्यायालय के इस आदेश पर क्या रिपोर्ट प्रेषित की जाती है और कब?