– निबाड़ी स्टेशन से ट्रेन में सवार होकर झांसी पहुंची, बेटी को सकुशल देख परिजन खुशी से झूमे 

झांसी। मध्य प्रदेश के जतारा थाना क्षेत्र की हरपुरा से अपहृत लगभग 19 वर्षीय किशोरी की किस्मत अच्छी थी कि निबाड़ी स्टेशन के पास रेलवे क्रासिंग गेट बंद था और उसे होश आ गया, वह कार का गेट खोल कर भागते हुए निबाड़ी स्टेशन पहुंच कर ट्रेन में सवार होकर झांसी पहुंच गई।

दरअसल, मप्र के जतारा थाना क्षेत्र अंतर्गत हरपुरा निवासी लगभग 19 वर्षीय किशोरी स्नातक की छात्रा है। हमेशा की तरह मंगलवार को वह कालेज से पढ़ कर पैदल अपने गांव हरपुरा जा रही थी। रास्ते में कार सवार चार युवकों ने उसे रोक कर रास्ता पूंछा और इसी दौरान रूमाल से नशीली दवा सुंघा कर बेहोश कर दिया। इसके बाद उसको कार में अपहृत कर युवक निबाड़ी की तरफ भाग निकले।

संयोग से निबाड़ी स्टेशन के पहले पैसेंजर ट्रेन के आने से रेलवे क्रासिंग गेट बंद था। यह देख कर कार को रोक कर अपहरण कर्ता लघुशंका के लिए चले गए। इसी दौरान किशोरी की तंद्रा टूटी और वह स्वयं को कार में देख कर माजरा समझ गई। उसने सतर्कता का परिचय देते हुए चुपके से कार का गेट खोला और जान बचा कर सरपट निबाड़ी स्टेशन की तरफ़ दौड़ लगा दी।

अपहरण कर्ताओं से बचने के लिए वह निबाड़ी स्टेशन पर पहुंच कर पैसेंजर ट्रेन में सवार होकर छिप गई। यह ट्रेन निबाड़ी से चल कर झांसी स्टेशन पहुंची। स्टेशन पर उतर कर किशोरी सीधे जीआरपी के सिपाही से मिली और अपने साथ घटित घटनाक्रम की जानकारी देते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई। मामला गंभीर देख कर सिपाही किशोरी को लेकर थाना पहुंचा। इसके बाद उसके परिजनों को जानकारी दी गई।

लड़की के सकुशल मिलने पर परिजनों ने राहत की सांस ली और उन्होंने झांसी में अपने गांव के दामाद दैनिक अमर स्तंभ के झांसी ब्यूरो प्रमुख नवीन यादव से सम्पर्क कर मदद मांगी। इस तत्काल नवीन यादव थाना जीआरपी पहुंच गए और पुलिस व रोशनी से सम्पर्क कर घटनाक्रम की जानकारी ली। कुछ ही घंटों में लड़की के परिजन थाने पहुंच गए। परिजनों को देख कर लड़की विलखने लगी। लड़की को सकुशल पा कर परिजनों की खुशी की सीमा नहीं रही। थाने में लिखा पढ़ी के बाद उसे उसके परिजनों को सौंप दिया। परिजन जीआरपी की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए चले गए।

रोशनी अपहरण के घटनाक्रम से साफ है कि गांव देहात की किशोरियों का अपहरण कर बेचने वाला गिरोह बुंदेलखंड में सक्रिय हैं। यह तो उक्त लड़की की किस्मत अच्छी थी जो बच गई अन्यथा वह कहां व किस हाल में होती सोच कर भी डर लगता है। पुलिस को इस तरह के गिरोह पर कार्रवाई करना चाहिए।