– 13 KM लंबी रेलवे लाइन किनारे बिछाई जा रही है एपेक्स रोड

झांसी।  एशिया के सबसे बड़े झांसी वैगन मरम्मत कारखाना के आधुनिकीकरण के क्रम में 128 साल बाद पाकेट यार्ड में लाइन किनारे पाथवे से आवागमन हो रहा सुलभ व सुरक्षित। रेल कर्मचारियों की समस्याओं को देखते हुए रेलवे अफसरों ने राहत देना शुरु कर दिया है। इसके लिए 13 किमी लंबी रेलवे लाइन किनारे एपेक्स रोड बनाई जा रही हैं ताकि ड्यूटी पर तैनात रेल कर्मचारियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।

गौरतलब है कि झांसी वैगन मरम्मत कारखाना भारतीय रेल का सबसे बड़ा वैगन मरम्मत कारखाना है जो 65 हजार वर्गमीटर कवर्ड क्षेत्र सहित (ढका हुआ) 3.4 लाख वर्गमीटर में फैला हुआ है। झाँसी कारखाने में रक्षा विभाग (डिफेंस) की वैगनों सहित सभी प्रकार की वैगनों का आवधिक मरम्मत (पी.ओ.एच) का कार्य किया जाता है। कारखाने में आईएसओं 9001ः2000 प्रामाणिकता के आधार पर गुणवत्ता एवं नीति प्रबंधन की समान प्रक्रिया अपनायी जाती है। आईएसओ 14001ः2004 एवं प्रमाणिकता के आधार पर प्रबंधन से जुड़े वातावरण एवं 18001ः2007 ओएचएसएएस के आधार पर व्यवसायिक है, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन में भी कारखाना झांसी को ख्याति प्राप्त है।

कारखाना के आधुनिकीकरण के साथ ही नई सीटीआरबी ओवरहालिंग तथा एक नई बीटीसी की हाल ही में स्थापना की गयी। ट्राली के अनुरक्षण कार्य के साथ नई ट्राली शॉप को समायोजित कर एकीकरण कर लिया गया है, आगे और भी विस्तार किया जाना है। यह कारखाना बीसीएनएचएल वैगन तथा बाक्सएचएएम (बीएमबीएस ) की बोगी में ब्रेक में ब्रेक पद्वति के साथ के साथ ही रूपान्तर कर वैगनों को उपयुक्त बनाया जाता है। कारखाना झांसी में आधुनिकीकरण योजना लागू होने से लाइनर वर्कफ्लो कार्य पद्वति में सुधार हुआ है। जिसमें कारखाना में बीओबीआरएन वैगनों के रिहैबिलिटेशन कार्य में भी कारखाना अग्रणी है।

इसी कारखाना का यॉर्ड शॉप में पॉकेट यार्ड है। इस पॉकेट यार्ड की स्थापना वर्ष 1895 में हुई थी। वैगन मरम्मत कारखाना में शटिंग होती है। शटिंग के दौरान यार्ड शॉप में झाड़ियां लगी हुई है। शटिंग के दौरान उतरने वाले रेल कर्मचारियों को अक्सर चुटहिल हो जाते थे। इन झाड़ियों में जंगली जानवर व अन्य प्रकार के कीड़े आदि रहते हैं जिससे रेलकर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। बताते हैं कि मुख्य कारखाना प्रबंधक अजय कुमार श्रीवास्तवा व वर्कशॉप के उपमुख्य इंजीनियर संजय कुमार गुप्ता ने पॉकेट यार्ड का निरीक्षण किया था।

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि यहां पर पाथवे की व्यवस्था नहीं है जिससे रेलवे कर्मचारियों को दिक्कतें हो रही हैं। इसके मद्देनजर पॉकेट यार्ड में एपेक्स की सड़क बनवाने के लिए दो करोड़ तीस लाख की लागत से लगभग 13 किमी लंबी लाइन किनारे एपेक्स बिछाने का कार्य शुरु हो गया। यह कार्य यॉर्ड के एसएसई आफाक अहमद की निगरानी में किया जा रहा है।

दरअसल इसके लिये यार्ड शंटिंग स्टाफ समय-समय पर मांग करता रहता था, क्योंकि बारिश के दिनों में झाड़ियों बड़ी हो जाया करती थी और खतरनाक जीव-जन्तू विचरण करते देखे जाते थे, जिसके कारण शंटिंग कर्मचारियों की संरक्षा भी खतरे में पड़ जाती थी, पाथ-वे का निर्माण कार्य पूरा हो जाने पर शंटिंग कर्मचारी पूर्ण संरक्षा के साथ कार्य कर सकेगें, पॉकेट यार्ड में रात्रि में शंटिंग के दौरान पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था नहीं रहा करती थी, उसके लिये छह हाई मास्ट टावर लगाए गये हैं इससे प्रकाश की समस्या भी दूर हो गई है।