ग्वालियर रोड पर जेडीए की टीम का हुआ कड़ा विरोध, अफसरों की गाड़ी के नीचे लेटे प्रदर्शनकारी

झांसी। एनजीटी के निर्देश झांसी के लक्ष्मीताल के र्गिद के हजारों परिवारों के जिंदगी भर की कमाई से बने आसरा के ध्वस्त हो जाने का खतरा बना हुआ है और पीड़ित अपने घरों को बचाने के लिए असहाय नजर आ रहे हैं। इनकी मदद को कोई भी राजनैतिक दल या संस्था आगे नहीं बढ़ रही है। शुक्रवार को एनजीटी के निर्देश पर पिछली महायोजना में नगर पार्क के लिए प्रस्तावित जमीन पर बने अवैध निर्माण को ढहाने पहुंची झांसी विकास प्राधिकरण की टीम को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। टीम ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने लगी तो क्षेत्रवासी अफसरों की गाड़ी के आगे लेट गए। लोगों ने हाथों में पत्थर उठा लिए। इसके बाद लोगों ने झांसी-ग्वालियर हाइवे को जाम कर दिया। अफसरों के समझाने के बाद एक घंटे बाद जाम खुला।

गौरतलब है कि झांसी के पिछोर, डडियापुरा, झांसी खास, झांसी सिविल आदि में नगर पार्क और नया गांव, बूढ़ा आदि जगहों पर प्रखंडीय पार्क के लिए प्रस्तावित जमीन पर वर्षों पूर्व निर्माण हो गया है। एक व्यक्ति द्वारा शिकायत करने पर मामला एनजीटी तक पहुंच गया तो वहां से अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का आदेश जारी हो गया। इसके बाद जेडीए द्वारा कई जगहों पर अवैध निर्माण गिराए जा चुके हैं और कई क्षेत्रों में कार्यवाही की तलवार लटक रही है।

शुक्रवार को भी जेडीए की टीम राइन के कब्रिस्तान के पीछे झांसी खास में करीब आधा दर्जन अवैध निर्माण को ढहाने पहुंची थी। जेडीए ने अवैध निर्माण की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की तो मौके पर 40-50 लोग इकट्ठा हो गए। लोग जेडीए की कार्रवाई का विरोध करने लगे। जेडीए की टीम के साथ लोगों की बहस होने लगी। कार्रवाई न करने की मांग करते हुए लोग अफसरों की गाड़ी के आगे लेट गए। लोगों ने तो पथराव करने के लिए हाथों में ईंट-पत्थर तक उठा लिए। इसके बाद कोतवाली और नवाबाद थाने की फोर्स बुलानी पड़ी। मौके पर प्रशासन के अधिकारी भी पहुंचे। इसके बाद लोग झांसी-ग्वालियर हाइवे पर पहुंचे और जाम लगा दिया।

करीब एक घंटे तक हाइवे पर वाहनों के पहिये थमे रहे। अफसरों ने समझा-बुझाकर लोगों को शांत कराया और फिर जाम खुला। जेडीए की टीम लौट आई। कार्रवाई के दौरान जेडीए सचिव उपमा पांडेय, प्रभारी अधिशासी अभियंता जितेंद्र सहरवार, अवर अभियंता विनीत शर्मा, घनश्याम तिवारी, निमेश गुप्ता, हंसराज भाटी आदि मौजूद रहे। सवाल यह उठता है कि जब अवैध कब्जे हो रहे थे तब जेडीए के जिम्मेदार जेई कहां सो रहे थे। सही मायने में तो इनकी जांच कर कार्यवाही की जाना चाहिए और अभी भी जहां अवैध निर्माण व कब्जे किए गए वहां तत्परता से कार्रवाई होनी चाहिए।