– श्री कुंजबिहारी संगीत एवं वेद वेदान्त विद्यालय का शुभारंभ
झांसी(बुन्देलखण्ड)। नूतन वर्ष की पावन बेला में सफला एकादशी पर गौलोकवासी श्री महंत बिहारीदास महाराज की पुण्य स्मृति में आज श्री कुंजबिहारी संगीत एवं संस्कृत वेद वेदान्त विद्यालय का भव्य शुभारंभ धर्माचा, संत, महंतों एवं विप्रजनों के सानिध्य में दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। अध्यक्षता जिला धर्माचार्य महंत विष्णु दत्त स्वामी ने की। संरक्षक के रुप में नगर धर्माचार्य हरिओम पाठक, बुन्देलखण्ड विद्युत परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व धर्माचार्य पं कृष्णचंद शर्मा नारद, मुरली मनोहर मंदिर के महंत बसंत गोलवलकर सहित नगर अनेकों मठ मंदिरों के संत महंत मौजूद रहे।
प्रारम्भ में बुन्देलखण्ड धर्माचार्य व कार्यक्रम आयोजक महंत राधामोहन दास ने कहा कि आज ज्ञान का अभाव होने के कारण सभी समाज अथवा वर्गों के लोग अपनी मर्यादा भूल रहे हैं। जिस कारण आपस में झगड़े बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में भारतीय संस्कृति छिपी है। सामवेद से संगीत, अर्थवेद से व्यापार एवं यजुर्वेद से अनुष्ठान की उत्पत्ति हुई है। वेद वेदांत तो भगवान का स्वरुप है। इसलिए इस विद्यालय में प्रतिदिन संस्कृत के विद्धानों द्वारा बच्चों को निशुल्क संगीत व सांस्कृति की शिक्षा दी जायेगी। पूर्व जिला धर्माचार्य कृष्णचंद्र शर्मा नारद ने वेदों की विस्तृत व्याख्या करते हुए संस्कृत के महत्व पर प्रकाश डाला। अन्य वक्ताओं में पं. घनश्याम दास बाजपेयी, पं. बृजकिशोर भार्गव, पं. गिरीश शास्त्री, पं. केशव गोलवलकर, पं. चन्द्रिका प्रसाद त्रिपाठी, सदर विधायक रवि शर्मा के पिता एसपी शर्मा आदि संस्कृत आचार्यों ने संस्कृत को देववाणी एवं संस्कृति की आत्मा बताया। प्रारंभ में रामलखन उपाध्याय, आचार्य राघवेंद्र त्रिपाठी एवं संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान घनश्याम दास बाजपेयी ने स्वस्ति वाचन कर दीप प्रज्जवलित कराया एवं संस्कृति में ही सरस्वती वंदना की। भानीदेवी गोयल सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों ने आचार्य बृजभूषण झा के निर्देशन में भजनों की सुंदर प्रस्तुति दी। संचालन नगर धर्माचार्य हरिओम पाठक ने किया। इस मौके पर समस्त आचार्यों, महंतों सहित जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष जयदेव पुरोहित, पुरुषोत्तम स्वामी, गुरजीत चावला, शिक्षक एसपी शर्मा, शिवनारायण तिवारी, रघुवीर तिवारी को महाराज श्री ने शाल उड़ा कर सम्मानित किया। समारोह में मुकुन्द मेहरोत्रा, डा. धन्नूलाल गौतम, प्रकाश गुप्ता, सिया सरावगी, राजेंद्र पाठक, संगीत शिक्षिका रजनी आगवेकर, पं. अवध शरण व्यास, पं. गिरीश शास्त्री आदि मौजूद रहे।