– कठिनाईयों का उदगम है मानव की दुर्बद्धि :महंत राधामोहन दास
झांसी(बुन्देलखण्ड)। श्री कुंजबिहारी संगीत एवं संस्कृत वेद वेदांत विद्यालय के शुभारंभ समारोह के कार्यक्रमों की श्रृंखला में दूसरे दिन मोहक तबला व मृदंग वादन से शुरू हुए सुमधुर कार्यक्रम श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किए रहे। रात्रि में श्रीधाम वृन्दावन के कलाकारों की भगवान श्रीकृष्ण की मनोहारी रासलीला की प्रस्तुति ने भाव विभोर कर दिया। दर्शकों ने देर रात्रि तक रासलीला का लुत्फ उठाया।
द्वितीय दिवस के कार्यक्रमों का मुख्य आकर्षण विश्व प्रसिद्ध मृदंग वादक महाराज बिजना के शिष्य रोमनदास (भोपाल) का मृदंग वादन आकर्षण का केन्द्र रहा। अन्य कलाकारों में बुन्देलखण्ड के ख्यातिलब्ध कलाकारों ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां देकर भगवान के दरबार में हाजिरी लगाकर शास्त्रीय संगीत संध्या को संगीत से सराबोर कर दिया। आयोजक / बुन्देलखण्ड धर्माचार्य महंत राधा मोहनदास महाराज ने आशीर्वाद देते हुए कलाकारों का स्वागत किया तथा शास्त्रीय संगीत को ही अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत के बीच नाचने-झूमने के साथ-साथ भगवान के चरणों में अनुराग बढ़ता है। स्वामी हरिदास जू एवं मीरा बाई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन संतों को नाचने गाने में ही भगवान के दर्शन प्राप्त हुए। महंत राधामोहनदास ने कहा कि समस्त कठिनाईयों का एक ही उदगम है, वह है मानव की दुर्बुद्धि। जिस उपाय से दुर्बुद्धि को हटाकर सदबुद्धि स्थापित की जा सके वही मानव कल्याण व विश्व शांति का समाधान कारक मार्ग हो सकता है। मृदंगवादक रोमनदास के साथ तबले पर गोपाल उपाध्याय ने संगत की। अन्य कलाकारों में प्रभुदास, लखन लाल साहू, मनोज भंडारी तबला, दिल्ली घराना उस्ताद मौलवक्स के शिष्य, यशराज पाठक, पुनीत पाठक ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। पवनदास महाराज ने भी कलाकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।