• अग्रिम आयकर कटौती में मनमाने तरीके से दोगुने से अधिक की वृद्धि
    झांसी। परिषदीय शिक्षकों के वेतन में बम्पर कटौती की गई है। सरकार द्वारा तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाए जाने के बावजूद शिक्षकों को पहले से काफी कम वेतन मिल रहा है। मूलवेतन से भी कम तनख्वाह आने पर शिक्षक हैरान हैं। शिक्षकों में लेखा विभाग द्वारा की जा रही मनमानी कटौती के खिलाफ आक्रोश भी फैल रहा है। कई शिक्षक संगठनों ने भी लेखा विभाग द्वारा की गई कटौती का विरोध किया है।
    जिले के हजारों परिषदीय शिक्षकों को लंबे अरसे से मार्च की वेतन का इंतजार था। सोमवार से ही वेतन की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। मंगलवार की सुबह को जब मोबाइल पर मैसेज की घण्टी बजी तो पता चला कि वेतन खातों में क्रेडिट हो गया है लेकिन तनख्वाह की रकम देखकर सारी खुशी काफूर हो गई। शिक्षकों को मार्च में बढ़े हुए वेतन की उम्मीद थी लेकिन लेखा विभाग ने उनके गणित की फेल कर दिया। अनेक शिक्षकों को मूलवेतन से भी कम रकम मिल रही है। अग्रिम आयकर कटौती के नाम पर हजारों रुपए उ?ा दिए गए। जनवरी 2019 माह में जिन शिक्षकों का अग्रिम आयकर 1500 रुपए काटा गया था मार्च 2019 माह में उनके वेतन से 3500 रुपए की भारी कटौती कर दी गई। शिक्षकों को ना तो इसकी जानकारी दी गई और ना ही उनकी सहमति ली गई। फरवरी माह का वेतन आयकर की भेंट चढ़ गया था और मार्च की वेतन से बम्पर कटौती से शिक्षक आक्रोशित हैं। लेखा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पूर्व भी विभाग ने सातवें वेतन आयोग के एरियर की पहली किश्त से भी टैक्स के नाम पर दस प्रतिशत की मनमानी कटौती कर दी थी।
    विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ अचल सिंह ने कहा है कि लेखा विभाग द्वारा की गई अप्रत्याशित टैक्स कटौती उचित नहीं है। उन्होंने कहा है कि नौकरी पेशा मध्यमवर्ग पर इस महीने कुछ अतिरिक्त बोझ भी रहते हैं। बच्चों के एडमिशन और उनकी पढ़ाई में काफी अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होती है। ऐसे में मार्च माह की वेतन से की गई अप्रत्याशित कटौती जायज नहीं कही जा सकती है। उन्होंने लेखाधिकारी से मांग की है कि वे अग्रिम आयकर कटौती की नए सिरे से समीक्षा कर उचित कटौती का फार्मूला तलाश करें ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके। साथ ही जो शिक्षक होम लोन के बोझ तले दबे हैं उनकी अग्रिम कटौती बंद की जानी चाहिए क्योंकि शिक्षकों को आयकर विभाग से अपने धन को वापस लेने के लिए अनावश्यक परेशान होना पड़ता है।