- जन सूचना अधिकार मंच का प्रयास लाया रंग, अवैध वसूली पर लगी रोक
झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के आकस्मिक विभाग में सी आर्म जांच के नाम पर 500 रूपये लिये जा रहे थे। मंच के डेढ़ वर्ष संघर्ष के बाद मेडिकल कालेज के अपनी गलती स्वीकारी व उक्त जांच की फीस लेना बन्द किया।
दरअसल, मेडिकल कालेज झांसी के आकस्मिक विभाग में सी आर्म की जांच के नाम से प्रत्येक मरीज से 500 रूपये लिए जा रहे थे। इसकी जानकारी जन सूचना अधिकार मंच द्वारा प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक मेडिकल कालेज से ली तो उन्होंने मंच को लिखित में दिया कि आकस्मिक विभाग में सीआर्म की कोई फीस नहीं लगती है। इसके बाद मंच के अध्यक्ष मुदित चिरवारिया ने आरटीआई से आकस्मिक विभाग के उक्त रजिस्टर की छायाप्रति मांगी जिसमें सीआर्म कराने वाले मरीजों का विवरण दर्ज होता था। उक्त रजिस्टर की छायाप्रति प्राप्त होने पर उक्त रजिस्टर में प्रत्येक मरीज से पैसे लिए जाने की पुष्टि हो रही थी। उक्त दस्तावेजों सहित 31 जनवरी 2018 को मंच के सदस्यों ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को ज्ञापन देकर जांच की मांग की। लगभग पांच माह बाद भी कोई जांच न होने पर 15 जून 2018 को आरटीआई लगाकर जांच की जानकारी मांगी। एक माह से अधिक समय बीत जाने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया तो प्रथम अपील हुई। इस पर भी मेडिकल कालेज प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। तब जाकर आरटीआई कार्यकर्ता ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। वहां पर 5 मई 2019 को फटकार के बाद कालेज प्रशासन ने 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने का आश्वासन दिया। अब मेडिकल कालेज ने लिखित जबाब दिया है कि जानकारी के अभाव में उक्त शुल्क लिया जा रहा था लेकिन मंच की शिकायत के बाद वर्तमान में उक्त शुल्क लेना बंद कर दिया गया है व उक्त शुल्क सरकारी कोष में जमा कराया गया है। जांच पूर्ण करने में सिटीजन चार्टर का उलंघन हुआ है।
जांच से संतुष्ट नहीं-चिरवारिया
जन सूचना अधिकार मंच के अध्यक्ष मुदित चिरवारिया का कहना है ंिक वह जांच से संतुष्ट नहीं है। बिना किसी आदेश के कर्मचारी शुल्क कैसे ले रहे थे। 500 रूपये निर्धारित किसने किये। मेडिकल कालेज में जमा होने वाले प्रत्येक रूपये की रशीद दी जाती है तो उक्त फीस बिना रशीद के इतने समय तक कैसे ली जाती रही। पैसे कब से कब तक लिए गये व कितना फण्ड एकत्रित हुआ कितना जमा हुआ व किस मद में खर्च किया गया। बिना आदेश के पैसे लेने के लिए कौन दोषी है मंच शिकायत नहीं करता तो यह खेल चलता रहता। किसी भी दोषी पर कोई कार्यवाही न करना कई बड़े लोगों के इस खेल में शामिल होने की ओर इशारा करते हैं।