गृह नगर में स्वागत के यादगार पलों की कहानी इमरोज़ की जुबानी

झांसी।अमेरिका की विदेशी सरजमीं से अपने देश के लिए सोने का तमग़ा हासिल कर अपने घर झांसी लौटी महिला बॉक्सर इमरोज़ और उनके माता पिता नगर वासियों के दिल खोल कर स्वागत और सम्मान से अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मान को वह ताजिंदगी भुला नहीं पायेंगे, धन्यवाद झांसी।

सुबह दिल्ली से वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन आई बंदे भारत ट्रेन में बैठी इमरोज़ खिड़की से प्लेटफॉर्म नंबर 1 का नजारा देख कर रोमांचित हो उठी थी। इमरोज़ ने खेल विश्लेषक बृजेंद्र यादव से स्वागत सम्मान के खुशगवार पलों को साझा करते हुए बताया कि स्टेशन पर जब मैने दिखा कि स्वागत के लिए मेरे अपने शहर में खेल प्रेमियों का इतना बड़ा हुजूम हाथों में तिरंगा,फूल माला, पगड़ी, ढोल के साथ खड़ा है तो खुशी की सीमा नहीं रही। ट्रेन के रुकते ही अब्दुल रशीद सर, रोहित सर, हमीद सर, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन, इम्तियाज हुसैन अंकल, सुनील सर, बॉक्सिंग छात्रावास के बच्चे, मेरे साथी खिलाड़ी, मोहल्ले के मेरे शुभचिंतक एक एक कर माला, बुके देकर व पगड़ी पहनाकर स्वागत करने उमड़ पड़े। उसी भीड़ में मेरी अम्मी शबनम व अब्बू मो. इशहाक ने मुझे गले लगाकर आशीर्वाद दिया तो मैं भावुक हो गई।

उसके बाद हम सभी के साथ अपने होम ग्राउंड ध्यानचंद स्टेडियम पहुंचे जहां क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी बोनकर सर ने मुझे आशीर्वाद दिया। अपने शुभचिंतकों के आग्रह पर मैं खुली जीप में पापा और और अपनों के साथ सवार हो कर अपने घर की ओर रवाना हुई, जहां सड़कों पर लोगों की कतार और शहर के मुअज्जिद खेल प्रेमियों ने मेरा सम्मान किया। संजय पटवारी, सीताराम कुशवाहा अंकल उनमें शामिल थे। घर पहुंचते ही बड़े, बुजुर्ग, बच्चों, परिजनों और अपने दोस्तों की भीड़ ने आत्मियता से आगवानी की तो दिल झूम उठा।

फिर शाम को स्टेडियम में सदर विधायक रवि शर्मा द्वारा मेरे माता पिता के साथ मेरा सम्मान किया गया। इस यादगार पलों को मैं कभी नहीं भूला सकूंगी। अब मेरा लक्ष्य कुछ और बड़ा करने का कह कर मुझे सर थैंक्स कह कर अपनी बात समाप्त की।