‘पंच परिवर्तन – समाज परिवर्तन हमारी भूमिका’ विचार गोष्ठी
झांसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख ने स्वांत रंजन ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि पंच परिवर्तन में जब समाज लगता है तब यह सम्पूर्ण हो पाता है। ऋषि- मुनियों ने भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार गांव – गांव तक किया। आखिर कैसे पहुंचे होंगे। गांव में जाकर हवन, यज्ञ, प्रवचन आदि किए। लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान किया तब जाकर लोगों के दिनचर्या में आया। वह पंच परिवर्तन – समाज परिवर्तन हमारी भूमिका विचार गोष्ठी में गुरुवार 25 सितम्बर को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में लोगों को संबोधित कर रहे थे। इसमें पंच परिवर्तन (सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक दायित्व) के विषय पर अतिथियों ने प्रकाश डाला।
सनातन संस्कृति ने वर्षों पहले सिखाया कर्म का सिद्धांत
उन्होंने कहा कि एक मां अपने बच्चे को सिखाती है कि रात में पेड़ के पत्ते नहीं तोड़ना है। आज वैज्ञानिक इसे सिद्ध करने में जुटे हैं। पाप पुण्य की अवधारणा, सनातन संस्कृति ने कर्म का सिद्धांत हजारों वर्ष पहले ही सिखा दिया गया। शंकराचार्य ने भगवान बुद्ध को नवम अवतार बताया। समाज को 4 मठ बनाते हुए दिशा दी। कुम्भ के आयोजन विद्वानों के जुटने और संस्कृति पर मंथन करने का कार्य शुरू हुआ। 7- 800 वर्ष तक आक्रमण हुए। संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी ने उस समय के देश के प्रति कार्य करने वाले महापुरुषों को एकत्र कर विचार विमर्श किया। देश को शक्तिशाली बनाने का विचार हुआ। नौजवान शिक्षित व संस्कारित हो तभी देश महान बन सकता है। आक्रमणों के बाद आत्मविस्मृत में चला गया। उस समय कोई अखिल भारतीय संगठन नहीं था। 1925 में समाज को जोड़ने के लिए संघ के रूप में कार्य आरंभ किया। व्यक्ति निर्माण स्व राष्ट्र निर्माण का कार्य शुरू हुआ। गुणात्मक वृद्धि हुई। कितने असम्भव कार्य भी पूर्ण हुए।
सामाजिक परिवर्तन के लिए लगातार अभ्यास की जरूरत
प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि विवेकानंद स्मारक शिला समिति बनाकर स्मारक बनाने की पूरी चर्चा सभी लोगों से विस्तार से की। समाज के सभी लोगों की सहभागिता कराई गई। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाई। इसके लिए डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि एक देश में दो निशान, दो विधान व दो प्रधान नहीं चलेगा। जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा जनजागरण किया गया। श्रीराम जन्मभूमि का मंदिर आज हम देख पा रहे हैं। यह वर्ष संकल्प वर्ष है। समाज परिवर्तन के लिए क्या बातें हो सकती हैं। जो उनके मन में बस जाए। पंच परिवर्तन में सामान्य कार्य – पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन ,सामाजिक समरसता, नागरिक दायित्व व स्वदेशी को समाज में बिना किसी भय के स्वीकार करना ही जन जागरूकता है। बेहतर समाज के लिए सामाजिक परिवर्तन के लिए निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है। उपदेश के स्थान पर व्यवहारिक रूप से प्रस्तुतिकरण बेहतर शिक्षा प्रदान करेगा।
भारतीय के मूल में पंच परिवर्तन
मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय कुलपति अशोक कुमार सिंह ने कहा कि पंच परिवर्तन भारतीय विषय के मूल में हैं। आज विज्ञान बहुत बड़ा है लेकिन आत्मनिर्भर नहीं है। कृषि का क्षेत्र में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर खाद्यान्न, दुग्ध में नंबर एक पर है। संसाधन सीमित है। जमीन और पानी 4 प्रतिशत के करीब जनसंख्या 16 प्रतिशत। जैव विविधता का क्षरण लगातार हो रहा है। पानी का 80 प्रतिशत खेती में प्रयोग करते हैं। उसकी उपयोगिता 40 प्रतिशत ही है। आज पति-पत्नी को ही परिवार मानते हैं। नई पीढ़ी में संगठित परिवार की संकल्पना प्रतिष्ठित करना बड़ी चुनौती है। हमारे विश्वविद्यालय में 28 राज्यों के छात्र हैं। विविधता का बड़ा उदाहरण है। नागरिक कर्तव्य की बात है। हमारी बड़ी जिम्मेदारी दूरस्थ बैठे लोगों को जागरूक करें। स्वच्छता के बारे में बताएं। पर्यावरण के बारे में समाज के बीच संदेश बेहतरी के साथ जाए।
भारतीय ज्ञान परम्परा विश्व को परिवार मानता
अध्यक्षता करते हुए बुविवि के कुलपति मुकेश पांडेय ने कहा कि बदलते परिवेश में अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतशाम उदरचरितानाम तू वसुधैव कुटुम्बकम। भारतीय ज्ञान परम्परा में वेद, पुराण शास्त्र व सभी ग्रंथ पूरे विश्व को एक परिवार मानते है। भारतीय ज्ञान सामाजिक जीवन में संतुलन सिखाता है। अध्ययन में भी सभी विषय इसी ज्ञान का विस्तार करते हैं। हम प्रकृति को भी पूजते हैं। पीपल, बरगद, नीम, पाकर आदि वृक्षों की पूजा हमारे ज्ञान परम्परा में है। जीवन की कला को विस्तार से समझाया गया। महाकाव्य नवाचार की प्रेरणा देते हैं। रामायण हमें जीवन के मूल्यों को सिखाती है। गीता हमें कर्म की प्रधानता सिखाती है। भारतीय संस्कृति में पंच परिवर्तन समाहित है।
कार्यक्रम में एकल गीत सायुज्य पाठक ने प्रस्तुत किया गया। गोष्ठी में मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघ चालक शिवकुमार भार्गव, महानगर संघ चालक सतीश शरण अग्रवाल उपस्थित रहे। इस दौरान प्रमुख रूप से क्षेत्र सह कार्यवाह पूर्वी उत्तर प्रदेश अनिल श्रीवास्तव, प्रांत कार्यवाह रामकेश विजय, धर्मेंद्र जी, शशिकांत जी, विभाग प्रचारक मनोज जी,महानगर प्रचारक सक्षम जी,सायं महानगर प्रचारक सचिन जी,वासु, वयं,अकिंचन,अभय,अजय,समेत सैकडों स्वयंसेवक व गणमान्य लोग उपस्थित रहे। संचालन महानगर कार्यवाह डॉ. मुकुल पस्तोर ने किया।