• ट्रैक संरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
    इलाहाबाद (संवाद सूत्र)। बेहतर संरक्षा, राइडींग क्वालिटी व उत्कृष्ट अनुरक्षण की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल के अंतर्गत गाजियाबाद – टूंडला खंड के चमरोला यार्ड में प्वाइंट एंड क्रॉसिंग वाले हिस्से में एक लंबी वेल्डेड रेल बिछाई गई है। प्वाइंट व क्रॉसिंग ज़ोन में लंबे वेल्डेड रेल लगने से ट्रैक स्ट्रक्चर में जोड़ों (ज्वाइण्ट) की संख्या को कम कर दिया गया है, जिससे यह स्ट्रक्चर अधिक मजबूत हो गया है और इसमें कम ज्वाइंटो के होने से बेहतर राइडिंग क्वालिटी मिल सकेगी। प्वाइंट और क्रॉसिंग ज़ोन में लंबी वेल्डेड रेल से उसी स्थान पर जोड़ों पर होने वेल्डिंग की आवश्यकता कमी होगी जिससे रेल परिचालन में संरक्षा स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। इसके फलस्वरूप ग्लूड ‘वाइंटों की संख्या कम होने से भी पर्मानेंट वे (पी-वे) एसेट की विश्वसनीयता भी बढ़ जाएगी और इसके कारण ट्रेन संचालन को प्रभावित करने वाले फेलियर भी कम हो सकेंगे।
    इस अभिनव कार्य जिसमें पहली बार यार्ड के प्वाइंट और क्रॉसिंग ज़ोन में लंबे वेल्डेड रेल लगाए गए हैं। इसका उद्घाटन 28 सितम्बर को अपर सदस्य रेलवे बोर्ड राकेश गोयल द्वारा किया गया। इस दौरान शरद मेहता प्रमुख मुख्य अभियंता उमरे, बीपी अवस्थी कार्यकारी निदेशक रेलवे बोर्ड, एके ददरिया मुख्य ट्रैक इंजीनियर उमरे उपस्थित रहे। उत्तर मध्य रेलवे ने इस प्रयोग के प्रदर्शन और सफलता के आधार पर पूरे जोन में क्रमिक रूप प्वाइंट और क्रॉसिंग ज़ोन में लंबे वेल्डेड रेल लगाने की योजना बनाई है।
    गौरतलब है कि उत्तर मध्य रेलवे सुपर सेचुरेटेड ग्रैंड कॉर्ड मार्गों दिल्ली-हावड़ा व दिल्ली-चेन्नई के क्रमश: 53 फीसदी व 24 फीसदी हिस्से का मेंटेनेंस व संचालन करता है। यह जोन ही भारत की तीव्रतम ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलने वाली गातिमान एक्सप्रेस का परिचालन करता है, जबकि राष्ट्र के पहले ट्रेन सेट वंदे भारत की औसत गति भी उत्तर मध्य रेलवे क्षेत्र पर 104 किमी प्रति घंटा है जो भारतीय रेल में सर्वाधिक है। उत्तर मध्य रेलवे परिक्षेत्र में सभी राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की औसत गति भी 90 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक है जो सभी जोनल रेलवे के में सर्वोत्तम है। इस प्रकार के वृहत एवं हाई-स्पीड रेल परिचालन के लिए एक सशक्त ट्रैक संरचना और अभिनव अनुरक्षण प्रणाली की आवश्यकता होती है ताकि ट्रेन संचालन में संरक्षा और निर्बाध गतिशीलता सुनिश्चित की जा सके।